Prayagraj news : 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेला प्रयागराज में शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, दो दिनों में 3.5 करोड लोगों ने आस्था की पवित्र डुबकी लगा दी है। वहां एक से एक साधु पहुंचे हुए हैं और सब की साधना की अपनी अपनी पहचान है। इस बीच यह जानकर आप चौंक सकते हैं कि इस देश का आईआईटी इंजीनियर भी साधु हो सकता है, लेकिन यह चौंकाने वाली बात नहीं है। भारत जैसे देश में ऐसा संभव है, क्योंकि भारत की धार्मिक आस्था और संस्कृति में वह शक्ति है, जो किसी के हृदय को परिवर्तित कर धर्म के रास्ते पर आगे बढ़ा सकती है।
साधु बनना बड़ी बात
बेशक भारत में एक आईआईटी इंजीनियर का बनना बड़ी उपलब्धि की बात है। ऐसे इंजीनियर आज से नहीं दशकों से भारत ही नहीं, विदेश में भी जाकर अपनी मेधा का परिचय दे चुके हैं। आज भी दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों में CEO के पोस्ट पर काम कर रहे हैं। लेकिन, ऐसी मेधा रखने वाले अगर साधु बनने की राह पर आगे बढ़ते हैं तो उसके पीछे भी कोई न कोई रहस्यात्मक उद्देश्य होता है।
जानिए इनके बारे में…
हाल ही में अभय सिंह चर्चा के केंद्र में रहे हैं। अभय मुश्किल से 30 साल के होंगे।वे आईआईटी मुंबई से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया हैं। अब साधु बन गए हैं। महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। अविरल जैन आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट किया है। अब परम ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठिन साधना में लीन है। संकेत पारिख आईआईटी बंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट किया है। करोड़ों की नौकरी छोड़कर अब सन्यासी बन गए हैं।
आचार्य प्रशांत की लोकप्रियता
आचार्य प्रशांत प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम अहमदाबाद से उन्होंने एमबीए की डिग्री भी ली है। आज वह अपने प्रवचनों और सैकड़ों किताबों के माध्यम से दुनिया को जागृत कर रहे हैं। महान एमजे आजकल स्वामी विद्यानाथ नंदा के नाम से प्रसिद्ध हैं। इससे पहले आईआईटी कानपुर से ग्रेजुएट और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से मैथ में पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर चुके हैं।
गौरंग दास आईआईटी बंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है। अब आध्यात्मिक समाधान बताते हैं। इसी प्रकार से स्वामी मुकुंदानंद आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में डिग्री धारक हैं। अब मोटिवेशनल गुरु बन गए हैं। रसनाथ दास आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट हैं। अब आध्यात्मिक गुरु बन गए हैं। इसी प्रकार संदीप कुमार भट्ट आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की है। 28 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास की राह पकड़ ली है। यह सभी इंजीनियर अपने तरह से अलग किस्म का मानव कल्याण कर रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक पहचान की देन है।