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झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शिक्षकों की वरीयता को लेकर सुनाया एक और बड़ा फैसला, प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रोन्नति का रास्ता साफ 

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Ranchi news : माननीय झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) और न्यायाधीश अरुण कुमार राय की डबल बैंच ने राज्य के मध्य विद्यालयों में ग्रेड 7 (प्रधानाध्यापक) के‌ पदों पर प्रोन्नति हेतु सीधी नियुक्ति से नियुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक और इन्हीं पदों पर प्रोन्नति से आए शिक्षकों के पारस्परिक वरीयता निर्धारण को लेकर दायर दो एलपीए पर अपना अंतिम फैसला दिया। इसमें एक एलपीए झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ बनाम राज्य सरकार तथा दूसरा एलपीए गौतम प्रसाद एवं अन्य बनाम राज्य सरकार का था। 

वरीयता को नजरअंदाज कर  प्रोन्नति नहीं दी जा सकती

हाई कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षक चूंकि ग्रेड 4 में पहले योगदान दिया है तो उनकी वरीयता को नजरअंदाज करते हुए प्रोन्नति नहीं दी जा सकती है। किसी ग्रेड में दिए गए वास्तविक योगदान ही वरीयता निर्धारण का मानक होना चाहिए। विभाग भूतलक्षी प्रोन्नति दे सकती है पर तब जब सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षकों का वरीयता प्रभावित न होता हो। इसके साथ-साथ आदेश में विभाग को यह निर्देश दिया गया है कि इससे संबंधित संकल्प शीघ्र जारी करते हुए सभी जिलों में नए सीरे से आदेश के। आलोक में वरीयता सूची का प्रकाशन हो ।

एल.पी.ए में अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता भानु कुमार, अधिवक्ता भारती कुमारी और कृष्णा शंकर ने सीधी नियुक्ति से नियुक्त ग्रेड-4 शिक्षकों पक्ष मजबूती से रखा।

LPA क्यों दायर किया गया था?

1. वर्तमान राज्य के मध्य विद्यालयों में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों (ग्रेड 4) में दो कोटि के शिक्षक कार्यरत हैं। एक जो सीधी नियुक्ति से नियुक्त हुए हैं और अन्य जो प्रोन्नति के माध्यम से इन पदों पर नियुक्त हुए हैं। चूंकि सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति इन पदों पर पहले हुई और प्रोन्नति द्वारा बाद में इन पदों को भरा गया तो आपसी वरीयता को लेकर पेंच फ़ंसा हुआ था। 

2. विभाग द्वारा वर्ष 2021 में एक आदेश जारी कर किसी भी ग्रेड में भूतलक्षी प्रोन्नति दिए जा सकने संबंधित प्रस्ताव दिया परंतु उक्त आदेश में सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षकों के‌ वरीयता को लेकर कोई बात नहीं कही गई। इसपर झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ ने हाईकोर्ट में रीट याचिका दाखिल किया था। उसी तरह पलामू में प्रोन्नति से नियुक्त शिक्षकों को वरीय बनाने के उद्देश्य से 01.04.2015 से भूतलक्षी प्रोन्नति दिया गया था। अत: वहां से इसके विरूद्ध गौतम प्रसाद एवं अन्य के द्वारा रीट किया गया था। 

3. इसपर एकल‌ बैंच में फैसला दिया गया था। परंतु उसमें वरीयता निर्धारण पर स्पष्टता नहीं होने के कारण पुनः LPA दायर किया गया था।

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डिवीजन बैंच में दिए आदेश की मुख्य बातें

1. न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न समसदृश फैसलों का जिक्र करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी ग्रेड में आपसी वरीयता का निर्धारण उक्त ग्रेड को प्राप्त करने की तिथि होगा।‌इस मामले में सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षक ग्रेड 4 में पहले योगदान दिया है। अत: उनकी वरीयता को प्रभावित करते हुए प्रोन्नति नहीं दी जा सकती है।

2. इस तर्क पर कि 1993 प्रोन्नति नियमावली के कंडिका 8 में वर्णित आपसी वरीयता केवल ग्रेड1 से ग्रेड 4 में प्रोन्नत हुए शिक्षकों के लिए ही है और 1993 में ग्रेड 4 में सीधी नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं था। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट मत रखते हुए कहा है कि सीधी नियुक्ति RTE Act के अनुपालन में हुआ है। इसलिए प्रोन्नति नियमावली के कंडिका 8 को पृथक कर नहीं देखा जाना चाहिए, उसमें सीधी नियुक्ति से नियुक्त ग्रेड 4 शिक्षकों को भी सम्मिलित करते है वरीयता निर्धारण करना होगा।

3. भूतलक्षी प्रोन्नति संबंधित विभागीय आदेश संख्या 619(विधि) तथा एकल‌ बैंच का निर्णय को निरस्त कर दिया गया।

4. पलामू में दिए ग्रेड 4 में भूतलक्षी प्रोन्नति के निर्णय को भी निरस्त कर दिया गया। परंतु साथ में कहा गया है कि यह विचारणीय तभी होगा यदि यह सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षकों की वरीयता को प्रभावित नहीं करता हो।

5. भूतलक्षी प्रोन्नति पर कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी की है कि विभाग किसी भी शिक्षक को भूतलक्षी प्रोन्नति दे सकती है परंतु यह किसी भी तरीके से उस ग्रेड में कार्यरत शिक्षकों की वरीयता प्रभावित नहीं करती हो।

प्रगतिशील शिक्षक संघ ने ऐतिहासिक फैसला बताया 

इस संबंध में बात करते हुए झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के‌ प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू और महासचिव बलजीत सिंह ने माननीय हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए हर्ष जताया है। संघ के दोनों नेताओं ने कहा कि यह न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय है। अब विभाग बिना किसी संशय के हेडमास्टर के पदों पर आदेश के आलोक में नियमानुसार प्रोन्नति देने पर बिना किसी देरी के आगे बढे और उक्त आदेश के आलोक में शीघ्र संकल्प जारी करे।

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