Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

डीआरडीओ ने पोखरण में बहुत कम दूरी की मिसाइल के तीन सफल परीक्षण किये

डीआरडीओ ने पोखरण में बहुत कम दूरी की मिसाइल के तीन सफल परीक्षण किये

Share this:

दुश्मन के यान, विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा

New Delhi News : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल के तीन सफल उड़ान परीक्षण किए हैं। यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 की तरह ही है। इससे दुश्मन के यान, विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई देते हुए कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नयी मिसाइल सशस्त्र बलों को हवाई खतरे के खिलाफ और अधिक तकनीकी बढ़ावा देगी।

इसकी टेस्टिंग पिछले साल मार्च में और 2022 में 27 सितम्बर को की गयी थी


वीएसएचओआरएडीएस का वजन 20.5 किलोग्राम होता है। इसकी लम्बाई करीब 6.7 फीट और व्यास 3.5 इंच है। यह अपने साथ 02 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है। इसकी रेंज 250 मीटर से 06 किलोमीटर है। अधिकतम 11,500 फीट तक जा सकता है। अधिकतम गति मैक 1.5 है, यानी 1800 किमी प्रतिघंटा। इससे पहले इसकी टेस्टिंग पिछले साल मार्च में और 2022 में 27 सितम्बर को की गयी थी। उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ ग्राउंड-बेस्ड मैन पोर्टेबल लॉन्चर से उड़ान परीक्षण के दौरान मिसाइल ने विमान के पास आने और पीछे हटने की नकल की। मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा करते हुए लक्ष्यों को मिसाइलों ने अवरुद्ध करके उन्हें नष्ट कर दिया।


रक्षा मंत्रालय के अनुसार कहीं पर भी ले जाने में सक्षम वायु रक्षा प्रणाली (एमएएनपीएडी) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की प्रयोगशालाओं में भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने स्वदेशी रूप से तैयार और विकसित किया है। इस बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर से संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य सीमित दूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है। उड़ान परीक्षणों को भारतीय सेना के अधिकारियों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा उद्योग जगत भागीदारों की उपस्थिति में पूरा किया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए इसमें शामिल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस यह नयी मिसाइल प्रणाली हमारे सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से और अधिक सुसज्जित कर देगी। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष ने भी मिसाइल के डिजाइन तथा विकास कार्य में शामिल पूरी टीम को बधाई दी।

Share this: