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दशहरा के दिन पूजा में हवन का है खास महत्व, जानिए इसकी विधि, उसके बाद…

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Dharma-Karma, religious, God and goddess Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dashara, Durga Puja, havan and Pujan, dharmik totke, vastu Shastra, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharma : 12 अक्टूबर को दशहरा यानी दशमी है। जैसा की ज्योतिष आचार्य बताते हैं, दशहरा का पर्व हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पड़ता है। दशहरा हिंदू समुदाय का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। 9 दिनों तक मां दुर्गा की आराधना होती है और इस पूरी अवधि को नवरात्र कहा जाता है। इसके अगले दिन दशहरा पड़ता है। अधर्म पर धर्म की विजय के कारण इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। इस दिन की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन की पूजा में हवन होता है और हवन की विशेष विधि होती है। पहले हवन सामग्री समझें उसके बाद इसकी विधि।

हवन साम्रगी  : आम की लकड़ियां बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे, घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची, गाय के गोबर से बने उपले, घी, नीरियल, लाल कपड़ा, कलावा, सुपारी, पान, बताशा, पूरी और खीर।

हवन की विधि

✓दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठें।

✓स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।

✓धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हवन के दौरान पति-पत्नी एक साथ बैठे।

✓हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।

✓ हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें।

✓मान्यता के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति दें।

✓हवन के समाप्त होने बाद आरती करें। फिर भगवान को भोग लगाएं।

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