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रावण से युद्ध के पहले राम ने की थी मां दुर्गा की आराधना, देवी के आशीर्वाद से ही…

रावण से युद्ध के पहले राम ने की थी मां दुर्गा की आराधना, देवी के आशीर्वाद से ही…

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Dharma-Karma, religious, God and goddess Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, vastu Shastra, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharma  : हमारे प्राचीनतम धर्म और काव्य ग्रंथ रामायण में राम-रावण के बीच युद्ध का इतना व्यापक अर्थ है कि आज तक उस पर नए-नए संदर्भों के साथ रिसर्च हो रहा है और नई-नई जानकारियां मिल रही हैं। आमतौर पर यह सर्वविदित और सर्वमान्य है कि राम और रावण के बीच का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच युद्ध था। सत्य और असत्य के बीच युद्ध था, जिसमें धर्म और सत्य की विजय हुई थी। इसी विजय के उपलक्ष्य में हम दशहरा का पर्व मनाते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इस युद्ध में राम की विजय के पहले की कहानी का महत्व ज्यादा है।

मां दुर्गा के चंडी रूप की आराधना

कहानी के अनुसार, जब भगवान राम रावण से युद्ध करने के लिए तैयार हो रहे थे, तब उन्हें देवी दुर्गा के चंडी स्वरूप पूजा करने की सलाह दी गई थी। श्री राम से कहा गया था कि अगर वह माता की आराधना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लेते हैं, तो वह आसानी से रावण का वध कर देंगे।

दशहरा के पावन अवसर पर बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी, जब भगवान श्री राम ने माता सीता का हरण करने वाले रावण का वध किया था। राम ने रावण को पराजित करने के लिए मां दुर्गा की आराधना ही नहीं की, बल्कि देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्री राम अपनी एक आंख भी अर्पित करने के लिए तैयार हो गए थे।

राम ने शरद ऋतु में की थी मां दुर्गा की आराधना

सामान्यतः देवी दुर्गा की पूजा वसंत ऋतु (चैत्र नवरात्रि) में की जाती थी, लेकिन राम ने इस पूजा को शरद ऋतु में किया। अकाल बोधन के लिए श्री राम को 108 नीले कमल की आवश्यकता थी। उन्होंने 108 कमल फूल एकत्रित किए पर पूजा के समय एक फूल कम पड़ गया। पूजा के दौरान श्री राम अपनी जगह से उठ नहीं सकते थे। फिर उन्हें याद आया कि उनकी मां उन्हें ‘कमल-नयन’ कहती थीं, क्योंकि उनकी आंखें कमल के फूल के समान है। इसलिए श्री राम ने अपनी एक आंख देवी दुर्गा को अर्पित करने का निश्चय किया। उनकी भक्ति और समर्पण से मां दुर्गा प्रसन्न हुईं और उन्होंने राम को रावण के साथ युद्ध में विजय का आशीर्वाद दिया। कहा जाता है कि इसके बाद ही राम और रावण के बीच युद्ध में राम की विजय तय हो गई थी।

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