New Delhi news : हरियाणा विधानसभा के लिए शनिवार को मतदान खत्म होते ही विभिन्न न्यूज एजेंसियों के चौकाने वाले एग्जिट पोल के सर्वे आए हैं। ज्यादातर सर्वे की मानें तो हरियाणा में दस साल बाद कांग्रेस की वापसी के आसार हैं, तो जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बन सकती है। दोनों राज्यों में 8 अक्टूबर को वोट गिने जाएंगे। आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव को बेहद अहम माना जा रहा है। यहां दस साल बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए हैं।
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के लिए नियम बनाए हैं। हरियाणा में मतदान खत्म होने के बाद ही दोनों राज्यों के एग्जिट पोल का ऐलान किया जा सकता है। चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि एग्जिट पोल निष्पक्ष होने चाहिए। चुनाव आयोग ने शनिवार शाम 6:30 बजे तक एग्जिट पोल्स पर प्रतिबंध लगा रखा था।
हरियाणा में पिछली बार भी बहुमत किसी को नहीं
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात करें, तो वहां किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। बीजेपी को 40 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 31 सीटें ही जीत पाई थी। बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी और जेजेपी का रिश्ता खत्म हो गया और मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
रिपब्लिक वर्ल्ड : भाजपा को भारी नुकसान
रिपब्लिक वर्ल्ड के मैट्रीज सीट प्रोजक्शन के सर्वे में कांग्रेस के लिए खुशखबरी है। अनुमान के मुताबिक कांग्रेस हरियाणा में 50 से ज्यादा सीटें जीत सकती है।
दैनिक भास्कर : कांग्रेस को बहुमत
दैनिक भास्कर के एग्जिट पोल्स में हरियाणा में कांग्रेस को 44 से 54 सीटें दी गई हैं। बीजेपी को 19 से 29, जेजेपी को 0-1 और आईएनएलडी को 1 से 5 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।
ध्रुव रिसर्च : कांग्रेस सरकार का अनुमान
ध्रुव रिसर्च के सर्वे में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत दिया गया है। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 57 से 64 सीटें और बीजेपी को 27 से 32 सीटें मिल सकती हैं।
पीपल्स पल्स : भाजपा को तगड़ा झटका
पीपल्स पल्स के एग्जिट पोल्स में भी कांग्रेस को हरियाणा में बहुमत दिया गया है। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 55, बीजेपी को 26, जेजेपी को 0-1 और आईएनएलडी को 2 से 3 सीटें मिलने की बात कही गई है।
रिपब्लिक : कांग्रेस की वापसी
रिपब्लिक के एग्जिट पोल के मुताबिक हरियाणा में बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बन सकती है। रिपब्लिक ने कांग्रेस को 55 से 65 सीटें दी हैं। बीजेपी को 18 से 21 और जेजेपी को 0 से 02 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इस सर्वे के मुताबिक आईएनएलडी को 2-4 सीटें मिल सकती हैं।
हरियाणा में 65 फीसदी मतदान
हरियाणा में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं। शाम 6 बजे तक लगभग 65 फीसदी मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा मतदान मेवात जिले में 68.28 प्रतिशत और सबसे कम गुड़गांव जिले में 49. 97 प्रतिशत मतदान हुआ है। फतेहाबाद में 67.05 प्रतिशत, महेंद्रगढ़ में 65.76 प्रतिशत, करनाल में 60.42 प्रतिशत, कुरुक्षेत्र में 65.55 प्रतिशत, रोहतक में 60.56 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
एक्सपर्ट ने क्या कहा ?
किसान आंदोलन का असर, भाजपा की हैट्रिक मुश्किल
हरियाणा के पॉलिटिकल एक्सपर्ट विजय सभरवाल कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता भाजपा इस बार जीत की हैट्रिक लगा पाएगी। पहली वजह ये है कि 2014 और 2019 में प्रधानमंत्री मोदी का नाम चला था, अब ऐसा नहीं है। किसानों को 13 महीने आंदोलन पर बैठना पड़ा। इससे रूरल एरिया में पार्टी के खिलाफ माहौल बना है। वहां लोग भाजपा को पसंद नहीं कर रहे हैं।’
दूसरी वजह मनोहर लाल खट्टर हैं। उन्होंने 10 साल तक दूसरे नेताओं को निपटाने की राजनीति की। जाट नेता निपटा दिए, अनिल विज को किनारे कर दिया। ये चीजें मैटर करती हैं। पुराने नेताओं को खत्म करने का नुकसान हुआ।
तीसरी वजह है नायब सैनी को आखिरी टाइम पर मुख्यमंत्री बनाना। इसका बहुत असर नहीं हुआ। उन्हें सैनी समाज का सपोर्ट जरूर है, लेकिन पूरा समाज कभी भी एक लीडर के सपोर्ट में नहीं होता। सैनी को पहले सीएम बना देते, तो शायद वे पार्टी को अच्छी स्थिति में ला सकते थे।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट धर्मेंद्र कंवारी कहते हैं कि कांग्रेस ऐसी पार्टी नहीं, जो प्लस-माइनस पॉइंट पर चलती हो। कांग्रेस ने पिछले 10 साल में ऐसा कुछ नहीं किया कि प्रदेश के लोग उस पर मेहरबान हो जाएं। कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति इसलिए बन रही है, क्योंकि भाजपा ने 10 साल में अच्छा काम नहीं किया। भाजपा के खराब काम का फायदा कांग्रेस को मिल रहा है। भाजपा का तो पूरा प्रचार सैलजा से शुरू होकर सैलजा पर खत्म हो गया। उनकी रणनीति थी कि एससी वोट बैंक को हिला दें, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
सीनियर जर्नलिस्ट कुमार मुकेश कहते हैं कि कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाते दिख रही है। इस बार भाजपा के लिए 2019 के मुकाबले ज्यादा एंटी इनकम्बेंसी है। किसान आंदोलन का काफी असर रहा। यही वजह है कि कांग्रेस रुझानों में आगे दिख रही है। मुझे लगता है कि रुझान सही रहने वाले हैं। जहां तक रीजनल पार्टियों का सवाल है, तो मुझे लगता है जिस तरह लोकसभा चुनाव में लोगों ने भाजपा और कांग्रेस को ही वोट दिए, विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही वोटिंग हुई। रीजनल पार्टियों का असर नहीं रहा। एक बात और अहम है कि लोगों काे कांग्रेस से कोई ज्यादा प्रेम नहीं है।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट हेमंत अत्री कहते हैं कि माहौल कांग्रेस के पक्ष में इसलिए है l, क्योंकि 10 साल का भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान है। 1966 से लेकर आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि लगातार तीसरी बार कोई पार्टी सत्ता में आई हो। इतिहास और माहौल कांग्रेस की तरफ है। पिछले 10 साल में कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए कोई क्रांतिकारी काम नहीं किया है। उसे सत्ता विरोधी रुझानों का फायदा मिल रहा है।
क्या बरकरार रहेगी परंपरा?
हरियाणा के इतिहास में आज तक कोई पार्टी लगातार 10 साल से ज्यादा सत्ता में नहीं रही है। पिछले 20 साल में भाजपा और कांग्रेस ने लगातार दो-दो बार सरकार बनाई, लेकिन तीसरी बार में हार मिली। कांग्रेस से 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने। 2009 में भी उनके नेतृत्व में पार्टी जीती। भाजपा को 2014 में पहली बार हरियाणा में बहुमत मिला और मनोहर लाल खट्टर सीएम बने। 2019 में उनकी अगुआई में पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। हालांकि इसके लिए उन्हें दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से गठबंधन करना पड़ा। इस बार अगर भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रहती है, तो हरियाणा के इतिहास में ऐसा करने वाली पहली पार्टी होगी। अगर सत्ता तक नहीं पहुंच पाई, तो हरियाणा की परंपरा बरकरार रहेगी जिसमें कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता तक नहीं पहुंच पाई।
घाटी में 10 साल बाद चुनाव
जम्मू-कश्मीर में इससे पहले 2014 में विधानसभा के मतदान करवाए गए थे। लद्दाख और जम्मू-कश्मीर अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां पहली बार चुनाव करवाए गए हैं। 2014 के चुनाव में 87 सीटों पर मतदान हुआ था। इसमें बीजेपी को 25, पीडीपी को 28 सीटें मिली थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को मात्र 12 सीटें ही मिली थीं। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई। हालांकि बीच में ही बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। इसके बाद से ही वहां चुनी हुई सरकार नहीं है।
इंडिया टुडे-सीवोटर: इंडिया गठबंधन को बहुमत
इंडिया टुडे-सीवोटर के सर्वे में जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन को बहुमत दिया गया है। इस एग्जिट पोल में बीजेपी को 27 से 32 सीटें और इंडिया गठबंधन को 40 से 48 सीटें मिलने की बात कही गई है। वहीं पीडीपी को 6 से 12 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 6 से 11 सीटें जा सकती हैं।
गुलिस्तां न्यूज : कड़ी टक्कर
गुलिस्तां न्यूज के सर्वे की मानें, तो जम्मू-कश्मीर में कांटे की टक्कर है। यहां इंडिया गठबंधन को 28 से 30 सीटें और बीजेपी को 28 से 30 सीटें मिल सकती हैं। पीडीपी को 5 से 7 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं अन्य के खाते में 8 से 16 सीटें जा सकती हैं।
दैनिक भास्कर : इंडिया गठबंधन आगे
दैनिक भास्कर के सर्वे के मुताबिक बीजेपी को जम्मू-कश्मीर में 20 से 25 सीटें मिल सकती हैं। इंडिया गठबंधन को 35 से 40 सीटें मिलने का अनुमान है। पीडीपी को 5 से 7 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 12 से 16 सीटें जाने के आसार हैं।
न्यूज-18 : इंडिया गठबंधन की चांदी
न्यूज 18 के महापोल में जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन को 33 सीटें दी गई हैं। वहीं बीजेपी को 29 और पीडीपी को 06 सीटें मिली हैं। इस सर्वे में अन्य को 22 सीटें दी गई हैं। ऐसे में अन्य पार्टियां किंगमेकर की भूमिका में नजर आ सकती हैं।
इंडिया टुडे-सी वोटर : भाजपा को बढ़त
इंडिया टुडे-सीवोटर के सर्वे के मुताबिक जम्मू रीजन में बीजेपी को 21 से 31 सीटें मिल सकती हैं। वहीं इंडिया गठबंधन को 11 से 15 और पीडीपी को 0 से 2 सीटें मिलने का अनुमान है।
पीपल्स पल्स : कांग्रेस-एनसी गठबंधन को बहुमत
पीपल्स पल्स के सर्वे के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन बहुमत का आंकड़ा हासिल कर सकता है। इंडिया गठबंधन को 46 से 50 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में 90 सीटों वाली विधानसभा में इंडिया गठबंधन को बहुमत दिया गया है।