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पंजाब में किसानों ने फिर रोकीं ट्रेनें, पूरे प्रदेश में परिचालन प्रभावित, यात्री हुए परेशान

Kisan andolan

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Chandigarh News : फसलों पर एमएसपी की लीगल गारंटी और उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मामले को लेकर गुरुवार को किसानों ने पंजाब और हरियाणा में कम से कम 36 जगह रेलगाड़ियां रोक कर प्रदर्शन किया। इसके कारण पूरे पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा और बड़ी संख्या में यात्री परेशान हुए। किसानों के प्रदर्शन के कारण रेलवे ने कई रेलगाड़ियों के रूट डायवर्ट किए और कई रेलगाड़ियों को रद्द करना पड़ा।
इससे पहले किसानों ने अमृतसर में 15 फरवरी को पहली बार रेल ट्रैक अवरुद्ध किया था। फिर 16 अप्रैल को शम्भु ट्रैक पर प्रदर्शन शुरू किया था, जो कि करीब 34 दिन तक चला था। पंजाब व हरियाणा में किसानों ने दोपहर को दो घंटे तक रेलवे ट्रैक पर बैठकर केन्द्र सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संगठन के बैनर तले चला। धरने के दौरान चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना और जम्मू रूट पूरी तरह प्रभावित हुए।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने भाजपा सांसद कंगना रानौत और केन्द्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू पर निशाना साधा


अमृतसर में रेल रोको आन्दोलन में पहुंचे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने भाजपा सांसद कंगना रानौत और केन्द्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर लखीमपुर कांड में बिट्टू के साथियों की मौत हो गयी होती, तो उनका क्या हाल होना था। उन्होंने कंगना को ‘मूर्ख’ बताते हुए कहा कि केन्द्र और भाजपा नेताओं के इशारे पर कंगना और बिट्टू किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। सरवन सिंह ने कहा कि अगर केन्द्र व राज्य सरकार ने समय रहते आढ़तियों व श्रमिक संगठनों की मांगें मानकर हड़ताल खत्म नहीं करवायी, तो किसान भी इस आन्दोलन में शामिल हो जायेंगे।

शम्भु बार्डर पर आन्दोलन कर रहे किसानों ने भी रेलवे ट्रैक पर यातायात रोका


भारतीय किसान यूनियन बीकेयू नेता हरजिंदर सिंह ने धरना प्रदर्शन के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि लखीमपुर खीरी में किसानों को तीन साल से इंसाफ नहीं मिला है। भाजपा नेता के बेटे ने कई किसानों को कुचल दिया था, जिसके चलते हमें आज रेल रोकनी पड़ी है। प्रदर्शन के दौरान शम्भु बार्डर पर आन्दोलन कर रहे किसानों ने भी रेलवे ट्रैक पर यातायात रोका। इसके अलावा अंबाला, पटियाला, लुधियाना, जालंधर, बठिंडा और फिरोजपुर में किसान ट्रैक पर बैठे थे। किसानों का कहना था कि वह लोगों की मुश्किल को समझते है लेकिन मजबूरी में उन्होंने यह राह चुनी है।

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