Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

जन आंदोलन से संभव है फाइलेरिया का उन्मूलन

जन आंदोलन से संभव है फाइलेरिया का उन्मूलन

Share this:

Dhanbad News : फाइलेरिया से बचने का एकमात्र उपाय दवा का सेवन करना है। एक बार कोई व्यक्ति इस रोग की चपेट में आ जाता है तो इससे छुटकारा पाना असंभव है। फाइलेरिया की दवा खाने के बाद यदि किसी को सर दर्द, उल्टी, बुखार जैसे एडवर्स इफेक्ट होता है तो यह एक शुभ संकेत है। इसका मतलब है उस व्यक्ति में फाइलेरिया का संक्रमण था। उपरोक्त बातें वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के राज्य समन्वयक डॉक्टर अभिषेक पॉल ने बुधवार को मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को लेकर राज्य स्तरीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है। यह क्युलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह दूसरी सबसे ज्यादा दिव्यांग एवं कुरूपता करने वाली बीमारी है। इसका संक्रमण अधिकतर बचपन में ही हो जाता है। बीमारी का पता चलने में 5 से 10 साल लग जाते हैं। यह बीमारी हाथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसिल को प्रभावित करती है।

उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील का इलाज समय पर संभव है लेकिन हाथ, पैर या स्तन में हुआ सूजन लाइलाज है।

उन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए दी जाने वाली डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की दवा वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा जांची और परखी हुई है। यह पूरी तरह से लाभकारी है। दवा खाने के बाद कभी-कभी सर दर्द, उल्टी या बुखार हो जाने पर घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है। वास्तव में जिस व्यक्ति में पूर्व से फाइलेरिया का संक्रमण रहता है उनमें यह लक्षण हो सकते हैं।

कार्यशाला में राज्य कीटविज्ञानशास्री (एंटोमोलोजिसट) साग्या सिंह ने कहा कि फाइलेरिया का उन्मूलन जन आंदोलन से संभव है। उन्होंने कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में देखा गया है कि रेजिडेंशियल अपार्टमेंट या संभ्रांत क्षेत्र में लोग दवा प्रशासक को प्रवेश करने नहीं देते हैं। दवा प्रशासक की मौजूदगी में दवा खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि विभिन्न आयु वर्ग के लिए अलग-अलग डोज निर्धारित है। यह दवा सभी के लिए अति आवश्यक है। 5 – 6 साल तक वर्ष में एक बार दवा लेने से पूरा समुदाय फाइलेरिया मुक्त हो सकता है।

राज्य के 14 जिलों में आगामी 10 फरवरी से 25 फरवरी तक फायलेरिया उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम चलाया जाएगा।

अभियान के दौरान 1 से 2 साल तक के बच्चे को एल्बेंडाजोल की आधी गोली (200 एमजी) पानी में घोलकर। 2 से 5 वर्ष तक को डीईसी की एक गोली (100 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली (400 एमजी), 6 वर्ष से 14 वर्ष तक डीईसी की 2 गोली (200 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली 300 (एमजी) एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली दवा प्रशासक द्वारा अपने सामने खिलाई जाएगी।

कार्यशाला में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के राज्य समन्वयक डॉक्टर अभिषेक पॉल, कीटविज्ञानशास्री  साग्या सिंह, राज्य आइईसी कंसलटेंट  नीलम कुमार, स्टेट ट्रेनिंग कंसलटेंट विनय कुमार, मो शाहबाज, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजिस के अंकित चौहान, पिरामल स्वास्थ्य के श्री अविनाश जी, सिविल सर्जन डॉ चंद्रभानु प्रतापन, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अमित तिवारी, वीबीडी डॉ सुनिल कुमार, वीबीडी सलाहकार रमेश कुमार सिंह के अलावा रामगढ़, बोकारो, गिरिडीह एवं देवघर के वीबीडी पदाधिकारी तथा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे।

Share this: