Rourkela news : ओडिशा के राउरकेला स्थित बालीशंकारा प्रखंड स्थित बाबूसहाजबहाल गांव से बैल चराने निकले पांच चरवाहे ईब नदी में टापू पर तीन दिनों तक फंसे रहे। पहले ग्रामीणों ने उन्हें अपने स्तर से निकालने का प्रयास किया, परंतु पानी के तेज बहाव के कारण वे इसमें असफल रहे। इस बीच ग्रामीणों के फंसे होने की जानकारी मिलने पर पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम ने भी उन्हें निकालने का प्रयास किया, परंतु उन्हें भी सफलता नहीं मिली। अंत में जशपुर (छत्तीसगढ़) जिला मुख्यालय से पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने रविवार को ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकाला।
गुल्लू जल विद्युत परियोजना के सभी गेट खोलने के बाद आई बाढ़
छत्तीसगढ़ में ईब नदी पर बने गुल्लू जल विद्युत परियोजना के सभी गेट खोल देने के कारण अचानक नदी का जलस्तर बढ़ जाने से चरवाहे फंस गए थे। दरअसल, राजेंद्र राय, सुलेमान एक्का और सीत लोहार गाय व बकरी चराने 26 सितंबर की सुबह ईब नदी में टापू पर गए थे। तब नदी में बहुत कम पानी था। वहां मवेशी चराने के दौरान अचानक नदी का जलस्तर बढ़ गया। बाढ़ सी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें वे घिर गए। इसकी जानकारी मिलने पर गांव के दो युवक उनके लिए चूड़ा और गुड़ लेकर निकले। वे उस टापू पर तो पहुंच गए पर नदी का बहाव और तेज हो जाने के कारण वे भी वहां फंस गए। पांचों दूसरे दिन पानी कम होने का इंतजार करते रहे, परंतु न जलस्तर कम हुआ और न ही नदी का बहाव।
पुलिस और अग्निशमन की कोशिश रही नाकाम तो एसडीआरएफ ने संभाला मोर्चा
ग्रामीणों के फंसे होने की जानकारी मिलने पर पुलिस एवं अग्निशमन की टीम वहां पहुंची, परंतु नदी के तेज प्रवाह के कारण वे भी ग्रामीणों को सुरक्षित निकालने में असफल रहे। इसके बाद जशपुर जिला मुख्यालय से पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने उन्हें सुरक्षित निकाला। टापू पर फंसे राजेंद्र राय, सुलेमान एक्का व सीत लोहार ने बताया कि तीन दिनों तक वे डर के साये में रहे। स्वयं के साथ-साथ पशुओं की चिंता भी उन्हें सता रही थी। अगर नदी का जलस्तर और बढ़ता तो टापू भी डूब जाता।