बैरिकेडिंग तोड़ी, पुलिस ने क्रेन-कंटेनर खड़े किए
तीन घंटे बाद नोएडा एक्सप्रेस-वे की एक लेन खोली
UP news : उत्तर प्रदेश के पांच हजार किसानों ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया है। पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दी। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए दिल्ली-यूपी को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर पर जगह-जगह बैरिकेडिंग की है।
वज्र वाहन और आरएएफ के जवान तैनात हैं। ड्रोन से निगरानी की जा रही है। वाहनों की चेकिंग के चलते पांच किलोमीटर लंबा जाम लग गया। नोएडा एक्सप्रेस-वे पहले दोनों तरफ से बंद हो गया, लेकिन बाद में एक लेन खोल दी गई। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें दिल्ली जाने से रोका गया, तो बॉर्डर पर दिन-रात डेरा डालकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर देंगे।
इससे पहले, दोपहर 12 बजे किसान नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के पास इकट्ठा हुए। संसद का घेराव करने के दिल्ली की तरफ बढ़े, तो पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल पर उन्हें रोक दिया। किसानों की पुलिस से नोकझोंक हो गई।
पहली दिसंबर को किसानों ने अपनी चार मांगों को लेकर नोएडा डीएम मनीष वर्मा और ग्रेटर नोएडा, यमुना, नोएडा अथॉरिटी के सीईओ के साथ बैठक की थी। तीन घंटे तक चली बैठक बेनतीजा साबित हुई थी। एक साल पहले भी इन्हीं मांगों को लेकर किसान संगठनों ने दिल्ली कूच किया था। इस बार किसानों की अगुआई भारतीय किसान परिषद के सुखबीर खलीफा, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पवन खटाना कर रहे हैं।
किसानों की मांगें
1. किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले 10 प्रतिशत प्लॉट दिया जाए।
2. 64.7 फीसदी की दर से किसानों को मुआवजा मिले।
3. नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, बाजार दर का 4 गुना मुआवजा दिया जाए।
4. भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के सभी फायदे दिए जाएं।
हाईवे न रोकें : सुप्रीमकोर्ट
New Delhi news : सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को नसीहत दी है। अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से कहा कि आप प्रदर्शनकारी किसानों को समझाएं कि वे राजमार्गों को बाधित न करें और लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखें।
डल्लेवाल को पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से उठा दिया था, लेकिन अब कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि उन्हें पुलिस ने कथित हिरासत से रिहा कर दिया है। इसके बाद वह एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। उनके साथ कई किसान एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने समेत कई मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं। डल्लेवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लोगों को असुविधा नहीं होने दें। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयां की बेंच ने कहा कि 26 नवंबर को खनौरी बॉर्डर से डल्लेवाल को उठाया गया था। अब वह फिर से रिहा हो गए हैं और अपने साथियों को समझाते हुए भी दिखे कि वे आमरण अनशन समाप्त कर दें।