Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

विदेश मंत्री ने विदेशी राजदूतों के साथ आईआईटी- बीएचयू के छात्रों से किया संवाद, कहा- राष्ट्र निर्माण के लिए परम्परा और तकनीक दोनों की जरूरत

विदेश मंत्री ने विदेशी राजदूतों के साथ आईआईटी- बीएचयू के छात्रों से किया संवाद, कहा- राष्ट्र निर्माण के लिए परम्परा और तकनीक दोनों की जरूरत

Share this:

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का इस्तेमाल करने की अपार क्षमता

Varanasi news : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि ऐतिहासिक चुनौतियों पर काबू पाने के बाद भारत अब वैश्विक मंच पर अपना स्थान पुन: प्राप्त कर रहा है। साथ ही दुनिया भर में सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा दे रहा है। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति का इस्तेमाल करने की अपार क्षमता है। भारत की ताकत परंपरा और प्रौद्योगिकी, स्वतंत्रता और सहयोग, तथा राष्ट्रीय हित को वैश्विक सद्भावना के साथ संतुलित करने की क्षमता है।

विदेश मंत्री रविवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (आईआईटी बीएचयू) के मेधावी छात्रों से संवाद कर रहे थे। इसी सभागार में काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ संवाद के बाद विदेश मंत्री ने विद्यार्थियों को देश की विदेश नीति से अवगत कराया। उन्होंने पेरिस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का खास तौर पर उल्लेख किया। कहा कि भारत एआई से जुड़े सांस्कृतिक पूर्वाग्रह के मुद्दे का प्रभावी रूप से हल कर सकता है। उन्होंने छात्रों से सवाल जबाब के क्रम में विकासशील देशों को पारंपरिक विकास मॉडल से आगे निकलने में सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को बताया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ आए 45 देशों के राजदूतों ने भी छात्रों के सवालों के जवाब दिए। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हमेशा वैश्विक आदान-प्रदान, बातचीत के लिए तत्पर है। उन्होंने छात्रों से अपने दैनिक जीवन में विदेश नीति के महत्व को पहचानने का आग्रह किया। छात्रों को अपनी सांस्कृतिक विरासत और तकनीकी प्रगति दोनों को अपनाकर खुद को वैश्विक प्रतियोगिता के लिए तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

विश्व को जोड़ना – विश्व बंधु” थीम पर भी बात की

“विश्व को जोड़ना – विश्व बंधु” थीम वाले इस कार्यक्रम में छात्रों ने वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका पर पर बातचीत की। संवाद में आईआईटी बीएचयू के चौथे वर्ष के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मानव मेहता ने वैश्विक स्तर पर ‘विश्व बंधु’ अवधारणा के प्रचार के बारे में जानना चाहा। डॉ. जयशंकर ने जवाब दिया कि भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित इस विचार को मीडिया, कूटनीति और सबसे महत्वपूर्ण रूप से कार्रवाई के माध्यम से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी—20 में शामिल कराने में भारत की भूमिका को भी बताया। कहा कि “विश्व का मित्र” बनने के लिए केवल घोषणाएं पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि ठोस प्रयास आवश्यक हैं। औद्योगिक इंजीनियरिंग की मुस्कान प्रियकांत रावत ने युवाओं में भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने से जुड़ा सवाल उठाया। इस पर विदेश मंत्री ने काशी तमिल संगमम जैसी पहलों की ओर इशारा किया, जो सांस्कृतिक जागरूकता और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के माध्यम से परंपराओं को आगे बढ़ाने की भारत की क्षमता ने युवा पीढ़ियों को अपनी विरासत से जोड़े रखा है। छात्र राजा भावेश ने सवाल किया कि मजबूत अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देने में दुनिया को भारत से क्या सबक मिल सकते हैं। डॉ. जयशंकर ने कहा कि सबक सिखाने के बजाय, भारत को अन्य दृष्टिकोणों के मूल्य को पहचानते हुए आत्मविश्वास के साथ वैश्विक व्यवस्था में योगदान देना चाहिए।

भारत और ग्लोबल साउथ के लिए बन सकता है क्रांतिकारी शक्ति

इस दौरान चर्चा उपनिवेशवाद के उन्मूलन, आत्मनिर्भरता और वैश्वीकृत दुनिया में राष्ट्रों की उभरती भूमिका पर केंद्रित रही, जिसमें डॉ. जयशंकर, राजदूतों ने भी भागीदारी की। संवाद में जमैका के उप उच्चायुक्त ने उपनिवेशवाद के गहरे प्रभाव को बताया। साथ ही सुझाव दिया कि राष्ट्रमंडल को फिर से परिभाषित करने से वैश्विक सहयोग बढ़ सकता है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के आत्मविश्वास और क्षमता के महत्व पर जोर दिया। कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत और ग्लोबल साउथ के लिए अगली क्रांतिकारी शक्ति बन सकता है, जो समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देगा। आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि पहले विदेशों में भारतीय छात्र और पेशेवर अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित रहते थे। लेकिन आज विदेश मंत्रालय के मजबूत नेतृत्व के कारण वे अधिक सुरक्षित और संरक्षित महसूस करते हैं। कार्यक्रम का संचालन प्रो. वी. रामानाथन ने किया।

संवाद में राजदूतों ने भी पूरे उत्साह से की भागीदारी

आईआईटी बीएचयू के मेधावी छात्रों से संवाद में रवांडा के राजदूत, जमैका के उप उच्चायुक्त, तिमोर-लेस्ते के राजदूत, केन्या के राजदूत ने भी भागीदारी की और उनके सवालों का बखूबी जबाब दिया। इस दौरान केन्या के राजदूत ने अफ्रीकी देशों से औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने का आह्वान किया। उन्होंने रणनीतिक विकास, संसाधनों के प्रभावी उपयोग और नवाचार-आधारित सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की प्रगति अन्य विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणा है।

Share this: