Ambedkarnagar News: पूर्व विधायक पवन पांडेय को 34 साल पुराने एक मामले में अदालत ने दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मामला पूर्व ब्लॉक प्रमुख स्वर्गीय अनिल सिंह पर हमले से जुड़ा है। पवन पांडेय पहले से ही जमीन के फर्जीवाड़ा मामले में जेल में बंद हैं।
पवन पांडेय का जीवन अपराध और राजनीति का एक ऐसा मिश्रण है, जिसे अपराध की गलियों से सियासत के गलियारों तक पहुंचने का उदाहरण कहा जा सकता है। 90 के दशक में पवन पांडेय ने भगवा ओढ़कर बाबरी मस्जिद आंदोलन में खुद को सक्रिय रूप से शामिल किया। इस दौरान उन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का समर्थन हासिल किया और उनके खासमखास बन गए। 1991 में शिवसेना के टिकट पर पवन पांडेय अकबरपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। उस वक्त लोगों को उम्मीद थी कि विधायक बनने के बाद पवन अपराध की दुनिया को अलविदा कह देंगे। लेकिन हुआ इसके उलट। विधायक बनने के बाद उनके अपराध का ग्राफ और तेजी से बढ़ा। रंगदारी, हत्या, जानलेवा हमले जैसे गंभीर अपराध उनके नाम के साथ जुड़ते गए। बाबरी विध्वंस मामले में भी सीबीआई ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। विधायक बनने के बाद पवन पांडेय ने कई बार निर्दलीय और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा। हालांकि उनके परिवार ने राजनीति में अपनी जगह बनाए रखी। उनके भाई राकेश पांडेय वर्तमान में जलालपुर विधानसभा से सपा विधायक हैं, जबकि उनके भतीजे रीतेश पांडेय अंबेडकरनगर से बीएसपी से सांसद थे और इस बार भाजपा से चुनाव लड़े लेकिन पराजय का दंश झेलना पड़ा। पूर्व विधायक पर यूपी के विभिन्न जिलों में पांच दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी और हमले जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। जिस मामले में उन्हें सजा सुनाई गई है, वह पूर्व ब्लॉक प्रमुख अनिल सिंह पर हमले से जुड़ा है।
पूर्व विधायक पवन पांडेय को सात साल की सजा
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