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भारत दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ करने की इजाजत कभी नहीं देगा : जयशंकर

भारत दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ करने की इजाजत कभी नहीं देगा : जयशंकर

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▪︎ विदेश मंत्री ने कहा; हम बिना किसी डर के वह सब करेंगे, जो देश और दुनिया के लिए अच्छा होगा

▪︎ एस जयशंकर 27वें ‘एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित

New Delhi News: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा कि भारत बिना किसी डर के वह सब-कुछ करेगा, जो देश और दुनिया के लिए अच्छा होगा। जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत आज एक अहम मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ, पिछले दशक ने दिखाया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे अहम बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है। कार्यक्रम में वीटो का जिक्र कर जयशंकर ने दुनिया को अपना संदेश दिया है।

सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों का विस्तार होना चाहिए
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्य – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। फिलहाल, यह देश प्रक्रियात्मक फैसलों को छोड़ कर, किसी भी फैसले पर अपना वीटो दे सकते हैं। यूएनसीसी की स्थापना 1945 में हुई थी। इसमें कुल 15 सदस्य हैं। पांच स्थायी सदस्यों को छोड़ कर बाकी 10 अस्थायी सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं। अस्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर नहीं होता है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग लगातार उठा रहा है। उसका कहना है कि 21वीं सदी में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद पर्याप्त नहीं है। इसके स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों का विस्तार होना चाहिए। फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका भी सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के लिए पुरजोर आवाज उठा चुके हैं।
जयशंकर ने कहा कि अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली या बार-बार होने वाली जलवायु घटनाओं से जूझ रही दुनिया, भारत की विरासत से बहुत कुछ सीख सकती है, लेकिन दुनिया को इस बारे में तभी पता चलेगा, जब हमारे देश के लोग इस पर गर्व करेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के युग में प्रौद्योगिकी और परम्परा को एक साथ चलना होगा। उन्होंने कहा कि भारत जरूर आगे बढ़ेगा, लेकिन उसे अपनी भारतीयता खोये बिना ऐसा करना होगा। तभी हम बहुध्रुवीय विश्व में वास्तव में अग्रणी शक्ति के रूप में उभर पायेंगे।
जयशंकर ने कहा कि लोकतंत्र की गहराई से अब ज्यादा प्रामाणिक आवाजें उठी हैं। देश खुद को फिर से खोज रहा है और फिर से अपना व्यक्तित्व पा रहा है। जयशंकर को 27वें ‘एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। विदेश मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा।

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