जोरावर का लद्दाख में आखिरी फील्ड ट्रायल होगा, पहले मैदान और रेगिस्तान में हो चुका है ट्रायल, जंग के लिए बहुत कारगर होते हैं हल्के टैंक
New Delhi news : भारतीय सेना को जल्द ही ट्रायल के लिए पहला स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर मिल जाएगा। इसका आखिरी फील्ड ट्रायल गुरुवार को लद्दाख में होगा। इससे पहले मैदान और रेगिस्तान में इसका ट्रायल हो चुका है। इन दोनों जगहों पर हुए ट्रायल में जोरावर सभी मानकों पर खरा उतरा। लद्दाख के न्योमा में जोरावर का ट्रायल गुरुवार से 15 दिसंबर तक किया जाएगा। टैंक के ट्रायल के दौरान इसकी फायर पावर, मोबिलिटी और प्रोटेक्शन के क्राइटेरिया में इसे परखा जाता है। ट्रायल पूरे होने के बाद अगले साल जोरावर को यूजर ट्रायल के लिए भारतीय सेना को दिया जाएगा।
सेना को लाइट टैंक की कितनी जरूरत
ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ हुए तनाव से यह सबक मिला कि सेना को लाइट टैंक की कितनी जरूरत है। जब चीन पैंगोग के उत्तरी किनारे में बहुत आगे तक बढ़ गया था, तब भारतीय सेना ने चीन को चौंकाते हुए पैंगोग के दक्षिण किनारे की अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया। यहां भारतीय सेना ने अपने टी-72 और टी-90 टैंक भी पहुंचा दिए। इससे चीन बैकफुट पर आया। फिर बातचीत की टेबल पर पैंगोग इलाके में पीछे हटने पर सहमति बनी।
हालांकि भारतीय सेना ने यहां जो टैंक पहुंचाए वे मुख्य तौर पर मैदानी और रेगिस्तान इलाके में ऑपरेशनल जरूरतों के लिए हैं। हाई एलटीट्यूट एरिया में इनकी अपनी कमियां हैं। यही खामियां इन टैकों में कच्छ के रण में भी दिखाई देगी। इसलिए भारतीय सेना को हाई एल्टीट्यूट और आईलैंड टेरिटरी के लिए लाइट टैंक जोरावर की जरूरत है।
नॉर्दन बॉर्डर पर भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए लाइट टैंक की जरूरत
चीन के पास मिडियम और लाइट टैंक है। जिस तरह से चीन ने 2020 में एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की, वैसी कोशिश वह कभी भी कर सकता है। हालांकि अभी बातचीत के जरिए गतिरोध खत्म होने की दिशा में अहम कदम बढ़े हैं, लेकिन नॉर्दन बॉर्डर पर भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए लाइट टैंक की जरूरत है। दुश्मन जहां पर है, अगर उससे ज्यादा ऊंचाई पर भारतीय सेना के टैंक मौजूद होंगे, तो दुश्मन कोई भी हरकत करने से बचेगा।
जोरावर को डीआरडीओ ने डिवेलप किया है। इसका वजन 25 टन है। जोरावर में कई वेपन सिस्टम होंगे। मिसाइल के साथ ही मेन गन मिलेगी। जोरावर में ड्रोन इंटीग्रेशन भी होगा। इससे दुश्मन पर लगातार नजर रहेगी। ड्रोन की फीड सीधे टैंक में कमांडर के पास आएगी। सेना लगभग 350 लाइट टैंक को लेने की तैयारी में है।