▪︎रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ने किया आगाह, कंट्रोल नहीं किया तो अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
New Delhi news : भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी हो रही है। त्योहारों के दौरान खरीदारी और कृषि क्षेत्र में सुधार से अर्थव्यवस्था को बल मिला है, लेकिन महंगाई बढ़ रही है। अक्टूबर में महंगाई दर पिछले 14 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। बढ़ती महंगाई से उपभोक्ता मांग और कॉर्पोरेट निवेश पर असर पड़ सकता है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट ने देश की अर्थव्यवस्था के कर्णधारों को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की तरक्की की राह में महंगाई बहुत बड़ा खतरा बनती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया, तो अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो सकता है। डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा की अगुआई में आरबीआई के शोधकर्ताओं ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई
इसके मुताबिक, त्योहारों के सीजन की मांग और कृषि क्षेत्र में सुधार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दूसरी तिमाही में आई सुस्ती से उबारने में मदद की है। हालांकि महंगाई शहरी लोगों की खरीदारी, कंपनियों की कमाई और निवेश को प्रभावित कर रही है। अगर इसे बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह असली अर्थव्यवस्था, खासकर उद्योग और निर्यात की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ग्रोथ के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता के अपने लक्ष्य के साथ अडिग है। वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के अपने मुख्य काम को भी ध्यान में रखा जा रहा है। अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। इसके बाद ब्याज दरों में तत्काल कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चाहती हैं कि ब्याज दरें बहुत ज्यादा किफायती हों। भारतीय रिजर्व बैंक के शोधकर्ताओं ने बताया कि विकसित देशों में जहां ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश है, वहीं उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते नीतिगत प्रतिक्रियाओं में अंतर आ रहा है।
सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया गया
हालांकि अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट में मध्यम अवधि के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया गया है। यह मजबूत मैक्रो-आर्थिक आधार पर टिका है। रिपोर्ट में यह बात तब कही गई है जब भारतीय बाजारों से रिकॉर्ड डॉलर की निकासी ने रुपए को निचले स्तर पर धकेल दिया है और छह हफ्त्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 30 अरब डॉलर की कमी आई है। खरीफ खाद्यान्नों और रबी की फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान से भविष्य में कृषि आय और ग्रामीण मांग में तेजी आने की उम्मीद है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में देखी गई सुस्ती अब पीछे छूट गई है, क्योंकि निजी खपत फिर से घरेलू मांग बढ़ी है। तीसरी तिमाही में त्योहारों के खर्च से वास्तविक गतिविधियों में तेजी आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने यह स्पष्ट कियारिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं
भारतीय रिजर्व बैंक ने यह स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वित्तीय बाजारों में सुधार हो रहा है। अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और लगातार पूंजी निकासी से शेयर बाजार दबाव में हैं। हालांकि, रुपए ने अपने एशियाई समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। अक्टूबर में केवल 0.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ सबसे कम अस्थिर रहा। भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 42 अरब डॉलर का एफडीआई प्रवाह आया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 33.5 अरब डॉलर का एफडीआईआया था। हालांकि शेयर बाजार में गिरावट 2024 के सितंबर के अंत से 14 नवंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से शेयरों में लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी का नतीजा थी। यह अब तक की सबसे बड़ी निकासी है। हालांकि आरबीआई के शोधकर्ताओं ने बताया कि कुल बाजार पूंजीकरण के संबंध में एफपीआई की निकासी को देखते हुए निकासी का यह दौर पिछले मामलों की तुलना में अभी भी कम है।