गलत ढंग से लिखवाई गई थी 68 डिसमिल, अब शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत अब सरकारी संपत्ति घोषित करने की शुरू होगी प्रक्रिया
Ara news : भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय भोजपुर जिले से पूरे परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए रैयत की भूमि का अवैध ढंग से निबंधन कर जमाबंदी अपने नाम करा लिए जाने के बड़े मामले का पर्दाफाश हुआ है। जमीन कीमती है। इस मामले में सुनवाई करते हुए भोजपुर के एडीएम मनोज कुमार झा ने जमाबंदी रद कर दी है और संबंधित अंचलाधिकारी को शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया करने को निर्देशित किया है।
बड़हरा थाना क्षेत्र के गुड़ी गांव का है मामला
यह मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड क्षेत्र का है। बड़हरा के गुंडी मौजा में थाना नम्बर 57, खाता संख्या 2189, खेसरा संख्या 6542 और रकबा 68 डिसमिल का है। स्थानीय निवासी नथुनी सिंह पिता किशन देव सिंह के नाम पर इस जमीन की जमाबंदी कर दी गई थी। इस मामले को लेकर वाद संख्या 12/2021 बड़हरा अंचलाधिकारी बनाम महेंद्र सिंह के बीच भोजपुर एडीएम के न्यायालय में चल रहा था।
साल 1947 के पहले असली रैयत पाकिस्तान चले गए
मिली जानकारी के अनुसार साल 1947 के पहले इस जमीन के असली रैयत पाकिस्तान चले गए। उनके कोई वारिस भी यहां नहीं रहे। इसके बाद भी फर्जी ढंग से किसी को उनका वारिस बताकर महेंद्र सिंह के पूर्वजों ने जमीन की रजिस्ट्री दिखाकर जमाबंदी करा ली। बड़हरा अंचलाधिकारी रिंकू यादव और आरा सदर डीसीएलआर श्वेता मिश्रा ने इस वर्ष मई में स्थल जांच के साथ कागजातों की जांच की तो पाया कि करोड़ों की जमीन की जमाबंदी बगैर किसी वाद संख्या या सक्षम प्राधिकारी के आदेश के नथुनी सिंह, पिता कृष्णदेव सिंह के नाम पर कर दी गई है।
जानें क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम
देश बंटवारे के बाद 1968 में भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया। जिसमें वर्ष 2017 में कई प्रकार के किए गए संशोधन के अनुसार कोई व्यक्ति यदि देश छोड़कर सपरिवार चला गया तो उसकी चल या अचल समेत अन्य प्रकार की संपत्ति भारत सरकार की होगी। अब इसी अधिनियम के तहत इस जमीन को शत्रु की संपत्ति मांनते हुए सरकारी जमीन घोषित करने की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें जमीन भारत सरकार के नाम पर होगी।