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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में सामान्य सेवाएं बहाल 

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में सामान्य सेवाएं बहाल 

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डॉक्टरों ने कहा, स्टेथोस्कोप पकड़कर हुई खुशी मगर आंदोलन रहेगा जारी,लगाया अभया रिलीफ कैम्प 

Kolkata News : विगत डेढ़  माह से आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर अपनी ड्यूटी पर वापस लौट गये है, iske बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में सामान्य सेवाएं बहाल हो गई हैl गौरतलब है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में महिला डॉक्टर से बलात्कार व हत्या की घटना के बाद पिछले 42 दिनों से जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर थेl 

  शनिवार को आरजी कर अस्पताल में लगभग 120 जूनियर डॉक्टर शनिवार से ड्यूटी में शामिल हुए। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 42 दिनों के बाद स्टेथोस्कोप पकड़ने की खुशी जताते हुए जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम खुद काम पर लौटना चाहते थे, लेकिन अगर हम इस तरह तेज आंदोलन नहीं करते तो फिर संदीप घोष की गिरफ्तारी नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन पहले की तरह ही जारी रहेगा।

लोगों को अब बेहतर इलाज होने की उम्मीद 

 बनगांव से आयी महुआ बनर्जी ने अपने पति को शनिवार को आरजी कर अस्पताल में भर्ती करवाया। उन्हाेंने कहा कि उनके पति को हार्निया हुआ था और अब इन्फेक्शन हो गया है। बनगांव के अस्पताल में वह पिछले 3 दिनों से भर्ती थे जिसके बाद उन्हें आरजी कर में रेफर किया गया है। जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने के बाद अब उम्मीद है कि हमें अस्पतालों में बेहतर परिसेवा मिलेगी। इसी तरह बिहार के बक्सर से जगदल में अपने मायके में आयी सुमन पासवान की भाभी आरजी कर में भर्ती हैं। उन्होंने भी जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने पर खुशी जतायी।

अभी ओपीडी सेवा का रहेगा बहिष्कार 

अभी भी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा के बहिष्कार पर अड़े हुए हैl आरजी कर अस्पताल में पेडियाट्रिक सर्जन सौरभ रॉय ने कहा, ‘पहले की तरह ही हमारा आंदोलन चलेगा। मेडिकल कॉलेजों में धरना मंच यूं ही रहेगा जहां धरना भी जारी रहेगा। फिलहाल कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया जाएगा, लेकिन आरजी कर मामले में पिछले 7 दिनों में कोई कदम नहीं उठाया गया तो फिर इस ओर आगे आंदोलन और तेज किया जाएगा।’

8000 जूनियर डॉक्टरों की टीम संभालती हैं व्यवस्था 

8000 जूनियर डॉक्टरों की टीम के हड़ताल पर जाने से पूरी 

व्यवस्था चरमरा गई थी l डॉ. अनुभव मण्डल, पोस्ट इंटर्नशिप ने बताया कि राज्य में लगभग 8,000 जूनियर डॉक्टर्स हैं जबकि रजिस्टर्ड डॉक्टर्स की संख्या 95 हजार है। ऐसे में पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को केवल जूनियर डॉक्टरों पर कैसे छोड़ा गया ? उन्होंने कहा कि हमने आं​शिक तौर पर ड्यूटी ज्वाइन की है, लेकिन आज भी सुरक्षा हमारा मुद्दा है। वर्ष 2019 में एनआरएस में एक डॉक्टर का सिर फोड़ दिया गया था, उस समय भी हमें केवल आश्वासन मिला था और आज 5 साल बाद भी हमारा वही मुद्दा है। इस बार सीनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाला और हमने आंदोलन किया। जूनियर डॉक्टर अनुपम राॅय ने कहा, ‘अगर हमने इतना तेज आंदोलन नहीं किया होता तो आज संदीप घोष की गिरफ्तारी नहीं होती। हालांकि बाढ़ की स्थिति को देखते हुए हम आंशिक तौर पर काम पर लौट आये हैं, लेकिन अभी हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। ओपीडी में हमारा सीज वर्क जारी है और न्याय नहीं मिलने तक जारी रहेगा।’

ट्रामा सेंटर में बढ़ी चहल पहल 

शनिवार को 100 से अधिक मरीज ट्रॉमा में आये। वहीं मेडिसिन में 15 मरीज भर्ती हुए जबकि ट्रॉमा में 9 मरीज भर्ती हुए। इस दिन इमरजेंसी में 7 जूनियर डॉक्टरों ने ड्यूटी ज्वाइन की जबकि ऑर्थोपेडिक में 8 जूनियर डॉक्टर्स ड्यूटी में शामिल हुए। सर्जरी में 5 डॉक्टरों ने इस दिन ड्यूटी ज्वाइन की जबकि ट्रॉमा में 3 इंटर्न व एक हाउस स्टाफ ड्यूटी में शामिल हुए। इस दिन16 माइनर ओटी की गयी जबकि 3 मेजर ऑर्थो इमरजेंसी व 3 मेजर सर्जरी ओटी की गयी। शनिवार को इंटर्न, हाउस स्टाफ, फर्स्ट ईयर, सेकेंड ईयर व थर्ड ईयर पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट) समेत सभी जूनियर डॉक्टर्स इमरजेंसी सेवाओं में शामिल हुए।

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