Prayagraj news : प्रयागराज में चल रहे महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। सनातन और हिंदू धर्म के विभिन्न विषयों पर सेमिनार और सभाओं का आयोजन हो रहा है। इसमें बड़ी संख्या में देश भर के नामी-गिरामी लोग शामिल हो रहे हैं। इसी क्रम में राम मंदिर आंदोलन पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव को आमंत्रित किया गया था। अब जस्टिस यादव ने इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर असमर्थता जताई है। उन्होंने कार्य दिवस का हवाला देते हुए कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
मामले को हिंदू-मुसलमान से जोड़कर देखा गया
दरअसल, पिछले दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आयोजित विश्व हिंदू परिषद की एक सेमिनार के दौरान जस्टिस यादव ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने देश में बहुसंख्यक आबादी के अनुसार शासन चलने की बात कही थी। इस पूरे मामले को हिंदू-मुसलमान से जोड़कर देखा गया। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जस्टिस यादव को सफाई देनी पड़ी है। पिछले दिनों उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी पत्र लिखकर इस संबंध में अपना पक्ष रखा है। महाकुम्भ के दौरान होने वाले सेमिनार में शामिल न होने का निर्णय लिए जाने को लेकर जस्टिस यादव की चर्चा हो रही है। दरअसल, कुंभ मेला क्षेत्र में 22 जनवरी को एक सेमिनार का आयोजन होना है। यह सेमिनार राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ पर केंद्रित था। वहां उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में भाषण देना था।
सरकारी कार्य दिवस का दिया हवाला
सेमिनार के संयोजक शशि प्रकाश सिंह ने बताया कि जस्टिस यादव ने सरकारी कार्यदिवस का हवाला देते हुए इस कार्यक्रम में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है। उन्होंने आयोजन समिति को यह जानकारी दे दी है। शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि आयोजन समिति के कुछ सदस्यों ने जस्टिस शेखर यादव से कार्यक्रम में मुख्य अतिथि को लेकर सहमति ली थी, लेकिन 22 जनवरी को सरकारी अवकाश नहीं है। इस कारण उन्होंने इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया है। यह सेमिनार अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक अशोक बेरी और वीएचपी नेता बड़े दिनेश जी सिंह जैसे प्रमुख वक्ता शामिल होंगे।