Motihari news : स्नान-दान, व्रत सहित कार्तिक पूर्णिमा का प्रसिद्ध पर्व 15 नवम्बर शुक्रवार को मनाया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा अथवा अन्य नदियों और किसी भी पवित्र जलाशयों में स्नान करना एवं इस दिन यथा सम्भव दान आदि करना अनंत पुण्यफलदायक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य इस दिन श्रद्धा-भक्ति के साथ तीर्थों में स्नान कर अन्न एवं वस्त्र आदि का दान करता है।
परब्रह्म परमात्मा को होता है प्राप्त
वह सब पापों से मुक्त होकर परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होता है। यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार घर में गरम जल की अपेक्षा ठंडे जल से स्नान करने से दसगुना पुण्य होता है।
…पुण्य की नहीं है कोई सीमा
उससे सौगुना पुण्य बाहरी कुआं के जल में, उससे अधिक पोखर या तालाब के जल में, उससे दसगुना झरनों में और उससे भी अधिक पुण्य नदी में स्नान करने से होता है। नदियों से दसगुना तीर्थ स्थान में, तीर्थ से दसगुना पुण्य वहां होता है जहां दो नदियों का संगम हो और कहीं तीन नदियों का संगम हो तब तो पुण्य की कोई सीमा ही नहीं है।
संचित पाप हो जाते हैं नष्ट
अग्निपुराण के अनुसार इस दिन जो मनुष्य भगवती भागीरथी मां गंगा का दर्शन, स्पर्श, जलपान और गंगा इस नाम का उच्चारण करता है वह अपने सैकड़ों-हजारों पीढ़ियों को पवित्र कर देता है। मोक्षदायिनी मां गंगा का नाम सौ योजन दूरी से भी उच्चारण किए जाने पर मनुष्य के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं।