गुरुवार को जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने आरोपियों को दोषी करार दिया था, दोषियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज
Lucknow news : राज्य के कासगंज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता चंदन गुप्ता के 26 जनवरी, 2018 की सुबह हुए हत्याकांड मामले में लखनऊ की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने सजा का फैसला कर दिया। शुक्रवार को कोर्ट ने सभी 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले दो आरोपियों को बरी कर दिया गया था।
कोर्ट ने गुरुवार को 28 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ दोषियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। गुरुवार को मामले में दोषी सलीम कोर्ट में पेश नहीं हुआ था। उसने शुक्रवार को कोर्ट पहुंचकर सरेंडर किया।
इन आरोपियों को मिली उम्रकैद की सजा
उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषियों में वसीम जावेद, नसीम जावेद, मोहम्मद जाहिद कुरैशी उर्फ जाहिद उर्फ जग्गा, आसिफ कुरैली उर्फ हिटलर, असलम कुरैशी, अकरम, तौफीक, खिल्लन, शवाब अली खान, राहत, सलमान, मोहसिन, आसिफ जिमवाला, साकिब, बबलू, नीशू उर्फ जीशान, वासिफ, इमरान, शमशाद, जफर, साकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, साकिर, मोहम्मद आमिर रफी, सलीम और मुनाजिर रफी का नाम शामिल है। इससे पहले एनआईए कोर्ट ने नसरुद्दीन और असीम कुरैशी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
सांप्रदायिक हिंसा के कारण यह मामला चर्चित रहा
सांप्रदायिक हिंसा की प्रकृति की वजह से यह मामला काफी सुर्खियों में रहा, जिसमें चंदन की मृत्यु से उस क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। अदालत के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने आरोपियों को हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा करने और राष्ट्रीय झंडे के अपमान का दोषी करार दिया था। इन 28 दोषियों में से 26 लोग अदालत में मौजूद थे, जबकि एक अभियुक्त मुनाजिर की पेशी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से हुई। अदालत ने एक अन्य आरोपी सलीम के लिए गिरफ्तारी का वारंट जारी किया, जो मुकदमे में सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहा।
जेल भेजेंगे सभी दोषी
अदालत के फैसले के बाद आरोपियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के अलावा, सलीम, वसीम, नसीम, मोहसिन, राहत, बबलू और सलमान को शस्त्र अधिनियम के तहत भी दोषी करार दिया गया है, क्योंकि घटना के दौरान ये लोग हथियार लेकर गए थे। शासकीय अधिवक्ताओं एमके सिंह और एल के दीक्षित की अगुवाई में अभियोजन पक्ष ने 18 गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष ने 23 गवाह पेश किए। कासगंज में शुरुआती सुनवाई के बाद इस मामले को लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया था।
जानिए पूरा मामला
सरकारी वकीलों के मुताबिक, 26 जनवरी, 2018 की सुबह चंदन गुप्ता अपने भाई विवेक गुप्ता और अन्य साथियों के साथ गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा में जा रहा था। जैसे ही जुलूस तहसील रोड पर जीजीआईसी के गेट के पास पहुंचा, सलीम, वसीम, नसीम और अन्य लोगों के एक समूह ने जुलूस का रास्ता रोक दिया। जब चंदन ने इसको लेकर आपत्ति की, तो स्थिति बिगड़ गई और इन आरोपियों ने जुलूस में शामिल लोगों पर पथराव कर दिया और फायरिंग कर दी। मुख्य आरोपियों में से एक सलीम ने चंदन गुप्ता पर गोली चला दी, जिससे चंदन घायल हो गया। चंदन के भाई और अन्य साथी उसे कासगंज थाना ले गए, जहां से उसे तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया । अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मौत के बाद कासगंज में दंगे हुए थे। हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा था। करीब एक हफ्ते तक कासगंज में जगह-जगह दंगे हुए थे।