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लालू और नीतीश की राजनीतिक दोस्ती भी रही है खूब दिलचस्प!

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Patna news : “मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है। इसलिए हम सुनते रहते हैं। हम नहीं कुछ बोलते हैं। इसके पिता को किसने लोकदल में विधायक दल का नेता बनवाया था ? पता है… इसको डिप्टी चीफ मिनिस्टर किसने बनवाया था।”

तेजस्वी के हमलों से तिलमिलाएं नीतीश कुमार का गुस्सा भरी विधानसभा में फूट पड़ा था। बिहार में पिछले तीन दशकों से नीतीश कुमार और लालू यादव के नजदीक ही राजनीति घूम रही है। लालू ने 15 सालों तक राज किया, तो नीतीश कुमार करीब 17 साल से सीएम हैं। लेकिन, कहा जाता है कि कभी लालू को सीएम बनाने में मदद करवानेवाले नीतीश कुमार को किसी दौर में राजद सुप्रीमो ने पटना में बेघर कर दिया था। ऐसे में आज आपको दोनों राजनेताओं के रिश्तों की कहानी बताते हैं। 

लालू और नीतीश पहली बार जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन के दौरान साथ आये थे

1970 के दशक में लालू और नीतीश पहली बार जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन के दौरान साथ आये थे। इसके बाद से ही बिहार की राजनीति इन दोनों ही नेताओं के इर्द-गिर्द घूमने लगी। एक जमाना था जब दोनों नेता एक-दूसरे के बेहद करीबी दोस्त थे। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि लालू को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में नीतीश कुमार ने बहुत बड़ी भूमिका निभायी थी। इसकी पुष्टि लालू यादव ने अपनी आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना मेरी राजनीतिक यात्रा में भी की है। 

जब लालू की मदद कर नीतीश ने असम्भव को सम्भव कर दिखाया

इस किताब में लालू यादव ने लिखा कि कर्पूरी ठाकुर का निधन होने के बाद मैंने विपक्ष के नेता के लिए अपना दावा किया, तो मेरा समर्थन करनेवाले नेताओं में नीतीश कुमार भी शामिल थे। लालू लिखते हैं कि नीतीश समय के साथ और ढुलमुल हो गये। पहले वह मेरे साथ थे, फिर वह अलग हो गये। उन्होंने मेरा साथ दिया, इसलिए मैं उनका ऋणी हूं। बता दें कि 1974 से 1994 तक नीतीश और लालू के बीच दोस्ती का दौर रहा है। जय प्रकाश नारायण के साथ इमरजेंसी के दौर में दोनों नेता आन्दोलन में शामिल हुए। 1990 में जनता दल 122 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरा। इस जीत में लालू के साथ नीतीश कुमार भी थे। दरअसल, 1990 के दौर में यह तय था कि जो नेता प्रतिपक्ष बनेगा, वही मुख्यमंत्री भी बनेगा। लालू की नजर सीएम की कुर्सी पर थी। वह किसी भी हाल में नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे। लेकिन, नीतीश कुमार ने उनकी मदद की और असम्भव को सम्भव बना दिया। 

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