Motihari news : जिले में श्रद्धालु भक्त रविवार को हर्षोल्लास पूर्वक भगवान चित्रगुप्त व कलम दवात की पूजा करेंगे। वैदिक ग्रंथों व पुराणों में अनेक प्रकार के व्रत-त्योहार एवं अनुष्ठानों का वर्णन है, जिसमें चित्रगुप्त पूजा का भी स्थान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने एकाग्रचित्त होकर समाधि लगाई और अंत में विश्रांतचित्त हुए।
चित्रगुप्त के नाम से होंगे विख्यात
ब्रह्मा के शरीर से बड़े-बड़े भुजाओं वाले, श्यामवर्ण, कमलवत् नेत्र वाले, शंख के तुल्य गर्दन, चक्रवत मुख, हाथ में कलम-दवात लिए एक पुरुष की उत्पत्ति हुई। यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्माजी अपने शरीर से उत्पन्न पुरुष को बोले कि तुम मेरे काया से उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारी कायस्थ संज्ञा होगी और पृथ्वी पर चित्रगुप्त के नाम से विख्यात होगे।
लेखा-जोखा के लिए हुए अधिकृत
धर्मराज की यमपुरी में धर्माधर्म के विचार व लेखा-जोखा के लिए उन्हें अधिकृत किया। ऐसी मान्यता है कि चित्रगुप्त से श्रीवास्तव, गौड़, माथुर, भटनागर, अहिष्ठाना (अस्थाना), अम्बष्ट आदि उत्पन्न हुए।