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शरद पूर्णिमा पर ही भगवान श्री कृष्‍ण ने रचाया था महारास, जानिए महत्व व अन्‍य खास बातें

शरद पूर्णिमा पर ही भगवान श्री कृष्‍ण ने रचाया था महारास, जानिए महत्व व अन्‍य खास बातें

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Motihari news, Sharad Purnima : इस वर्ष 16 अक्टूबर की रात्रि 07:47 बजे से पूर्णिमा तिथि लग रही है, जो 17 अक्टूबर (गुरुवार) को सायं 05:22 बजे तक रहेगी। चूंकि शरद् पूर्णिमा व कोजागरी व्रत के लिए रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा होनी चाहिए। अतः 16 अक्टूबर बुधवार को ही शरद् पूर्णिमा व कोजागरी व्रत शास्त्र सम्मत है।

महालक्ष्मी की पूजा का है विधान

इस दिन रातभर घी का दीपक जलाकर महालक्ष्मी का पूजन करने का विधान है। इस दिन भगवती लक्ष्मी घर-घर घूमती है एवं जागते हुए अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देतीं हैं। यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि आश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा शरद् पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमा षोडश कलाओं से युक्त होता है। इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला की थी।

खुली चांदनी में रखनी चाहिए खीर

इस दिन रासोत्सव और कौमुदी महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए और अपने इष्ट देवता का पूजन करना चाहिए। इस दिन गाय के दूध से खीर बनाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को भोग लगाना चाहिए तथा खीर को खुली चांदनी में रखना चाहिए। ऐसा करने से खीर में चन्द्रमा की किरणों से अमृत मिल जाता है। इस दिन रात्रि जागरण करने का विधान है। जब चन्द्रमा मध्य आकाश में हो,तब पूजन कर अर्घ्य देना चाहिए। दूसरे दिन खीर का प्रसाद दूसरों को देना चाहिए तथा स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

पृथ्वी पर विचरण करती हैं मां लक्ष्मी

इस दिन कोजागरी व्रत भी किया जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी रात्रि में पृथ्वी पर विचरण करतीं हैं और यह देखतीं हैं कि कौन जाग रहा है। जो जाग रहा होता है, उसे वे धन देतीं हैं। शरद् पूर्णिमा की अमृतमय चांदनी से सिक्त खीर दूसरे दिन प्रातः प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से धन,ऐश्वर्य एवं बल में वृद्धि होती है।

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