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मंईयां सम्मान : कर्ज की जंजीरें तोड़, वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, महिलाओं को सशक्त बनाना उद्देश्य

मंईयां सम्मान : कर्ज की जंजीरें तोड़, वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, महिलाओं को सशक्त बनाना उद्देश्य

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हेमन्त सोरेन (मुख्यमंत्री, झारखंड)

Ranchi news: झारखंड के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। आज से पांच महीने पहले शुरू हुई झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (जेएमएमएसवाई) महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण आर्थिक पुनरुद्धार एवं राज्य के सर्वांगीण विकास यात्रा में मिल का पत्थर साबित हो रही है।

आज का यह दिन इसलिए अभूतपूर्व है, क्योंकि आज से राज्य की सभी बहनों (18-50 वर्ष) के खातों में मेरे वादे के अनुसार 2500 रुपये की सम्मान राशि पहुंचनी शुरू हो जायेगी। यह उनकी आर्थिक स्वतंत्रता का प्रथम कदम अवश्य है।

आज मैं आपसे मंईयां सम्मान योजना सृजन के पीछे के उद्देश्य को साझा करना चाहता हूं कि आखिर क्यों झारखंड के समग्र विकास के लिए मंईयां सम्मान जैसी योजना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। परन्तु, इस क्रांतिकारी योजना के महत्त्व को समझने के लिए झारखंड के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि को समझा जाना नितांत आवश्यक है। दशकों से, हमारे राज्य ने ग्रामीण परिवारों पर शोषक साहूकारों के विनाशकारी प्रभाव को देखा है, जिसमें महिलाएं कर्ज से उत्पन गरीबी का असहनीय बोझ उठाती रही हैं। मैंने खुद महसूस किया है कि हमारे राज्य की करीब-करीब हर महिला अपने बच्चों की पढ़ाई या दवाई के लिए महाजनों से कर्ज लेती थीं और बाद में ब्याज के दलदल में फंस कर मजदूरी या हड़िया दारू बेचने में ही अपने जीवन का स्वर्णिम समय बिता देती रहीं।

मेरे पिता आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के नेतृत्व में 1970 के दशक में महाजनों के विरोध में चलाये गये आंदोलन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे कर्ज ने पीढ़ियों को गरीबी के चक्र में फंसा दिया। कर्ज के कारण बंधुआ मजदूरी करनी पड़ी और पैतृक भूमि तक छिनी गयी। यह मेरे लिए गौरव की बात है कि मंईयां सम्मान योजना शोषक साहूकारी प्रथाओं के खिलाफ मेरे पिता आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के ऐतिहासिक संघर्ष की विरासत को जारी रखने की दिशा में एक साहसिक कदम है।

जैसा कि मैंने ऊपर बताया – आज इस सार्वभौमिक योजना के पांचवें महीने में, 18-50 वर्ष की आयु की 56 लाख से अधिक महिलाओं को 2,500 रुपये मासिक प्रदान की जायेगी। यानी वर्ष में 30,000 रुपये, बिना किसी देरी और बिना किसी को खुशामद किये हुए। मंईयां सम्मान के माध्यम से हम महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को लक्षित कर उनकी वित्तीय स्वतंत्रता के इस संघर्ष में एक नया अध्याय लिख रहे हैं। तस्वीर बदल रही है। मेरी बहनों, दीदियों के चेहरे पर मंईयां सम्मान की राशि से खुशी की गारंटी बन रही है। गांवों की अर्थव्यवस्था पुन: चल पड़ी है।

सार्वभौमिकता ना सिर्फ इस योजना की प्रकृति है, बल्कि इसकी आधार शक्ति भी है। यही वजह है कि किसी महिला की आर्थिक स्थिति को इस योजना की योग्यता के मानक में शामिल किये बिना, बिना जटिल कागजी प्रक्रिया के – 18 से 50 आयु वर्ग की सभी महिलाओं को मंईयां योजना का हकदार बना कर आपकी अबुआ सरकार ने उन त्रुटियों को समाप्त कर दिया है, जो पूर्व में कल्याण कार्यक्रमों के लक्ष्य को हासिल करने में बाधक बनती थीं।

यह सार्वभौमिक योजना महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करती है। मेरा अटूट विश्वास है कि एक परिवार की 18-50 वर्ष की हर बहन  को 2,500 रुपये मासिक और 30,000 रुपये सालाना उपलब्ध कराने से परिवार की आय में परिवर्तनकारी वृद्धि होगी, विशेष रूप से झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां महिलाओं की वित्तीय स्वायत्तता पारंपरिक रूप से बहुत सीमित रही है। वैश्विक आर्थिक अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं के आर्थिक सुदृढ़ीकरण से परिवार के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में बेहतर परिणाम सामने आते हैं। महिलाएं आमतौर पर पुरुषों की तुलना में परिवार के कल्याण में अपनी आय का अधिक हिस्सा निवेश करती हैं। महिलाओं का यह गुण मंईयां सम्मान को एक साधारण कल्याण योजना के बजाय झारखंड की भावी पीढ़ियों के लिए एक रणनीतिक निवेश साबित होगी। निश्चित रूप से यह योजना महिला आत्मसम्मान को बढ़ावा देने के लिए एक कारगर कदम है।

इस योजना के वित्तीय समावेशन का पहलू विशेष ध्यान देने योग्य है। महिलाओं के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरण से हम पहली बार लाखों महिलाओं को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में ला रहे हैं। इस समावेशन के कई लाभ हैं – बैंकिंग क्रेडिट हिस्ट्री बनने से उचित दरों पर ऋण की उपलब्धता हो पायेगी। इसका प्रभाव व्यक्तिगत लाभ से परे है; यह ग्रामीण झारखंड के पूरे वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा, जबकि शोषक साहूकारों की पकड़ को व्यवस्थित रूप से कमजोर करता है।

मेरा मानना है कि महामारी के बाद मंईयां सम्मान  योजना लागू होने का यह समय ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव विशेष रूप से लिंग आधारित रहा है। महिलाओं को नौकरी छूटने और आय के अवसरों में कमी का अनावश्यक बोझ उठाना पड़ा है। आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ यह योजना उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करती है। जब महिलाओं के पास क्रय शक्ति होती है, तो स्थानीय बाजार फलते-फूलते हैं, जिससे आर्थिक विकास का एक अच्छा चक्र बनता है। इसकी मजबूत नींव आपकी अबुआ सरकार ने रख दी है।

सरकार के इस तरह के सार्वभौमिक कार्यक्रम के राजकोषीय निहितार्थों पर सवाल उठानेवाले आलोचकों को इसे केवल व्यय के बजाय, एक निवेश के रूप में जानना-समझना चाहिए। इस योजना पर खर्च की जा रही राशि हमें कई रूपों में वापस मिलेगी ; जैसे आकस्मिक स्वास्थ्य समस्त पर कम खर्च, परिवार में बेहतर शिक्षा एवं बेहतर पोषण को बढ़ावा एवं इसके कारण कम सामाजिक कल्याण खर्च के रूप में। इसके अलावा, बढ़ी हुई खपत के माध्यम से उत्पन्न आर्थिक गतिविधि कर राजस्व को बढ़ावा देगी। यह एक वाइब्रेंट स्थानीय अर्थव्यवस्था की नींव को और मजबूती देगी, जिसका खाका मेरी सरकार ने खींच लिया है।

योजनाओं को लेकर हमारा यह दृष्टिकोण कल्याणकारी राज्य की सोच में एक मौलिक बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी समाज के वास्तविक सशक्तीकरण के लिए यह अनिवार्य है कि लोगों की जरूरत को समझा जाये और यह तय करने के पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के बजाय, हम महिलाओं पर अपने परिवारों के लिए सर्वोत्तम निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करने पर भरोसा करते हैं। नियमित आय का प्रवाह महिलाओं को उनकी अपनी परिस्थितियों के अनुकूल योजना बनाने, बचत करने और निवेश करने में सक्षम बनाता है। इससे वित्तीय साक्षरता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलता है।

इस योजना का ‘मंईयां सम्मान’ नाम आर्थिक तौर पर मजबूत नींव प्रदान करते हुए, हमारी झारखंडी विरासत में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है। हमारे देश के अन्य हिस्सों में और साथ ही झारखंड में, महिलाएं घरेलू काम, बच्चों की देखभाल और कृषि गतिविधियों में अनगिनत घंटे बिताती हैं। ऐसे योगदान को ऐतिहासिक रूप से स्वीकारा नहीं गया, ना ही इसके लाभ दिये गये। यह मासिक भुगतान इस तरह की केयर इकोनॉमी में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और उनके काम के लिए कुछ हद तक आर्थिक मान्यता प्रदान करता है।

मैं मंईयां सम्मान का समर्थन करनेवाले डिजिटल बुनियादी ढांचे का उल्लेखनीय भी करना चाहता हूं। प्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए आज की सूचना तकनीक का लाभ उठा कर, हम पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करते हैं। साथ ही, कल्याणकारी योजनाओं में पहले हुईं कमियों को दूर करने का प्रयास भी कर रहे हैं। डिजिटल माध्यमों की पहुंच महिलाओं के बीच वित्तीय और तकनीकी साक्षरता को बढ़ावा देती है, उन्हें तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करती है। वित्तीय समावेशन और डिजिटल सशक्तीकरण का संयोजन हमारी महिलाओं को वित्तीय अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए तैयार करता है। ऐसे ही तो बनेगा सोना झारखंड।  

इस योजना के पर्यावरणीय निहितार्थ महत्त्वपूर्ण हैं – शोध से पता चलता है कि जब महिलाओं के पास अधिक आर्थिक तंत्र होता है, तो वे संसाधन प्रबंधन में अधिक टिकाऊ विकल्प चुनती हैं। झारखंड के संदर्भ में, जहां महिलाएं पारम्परिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं, वहां बेहतर वन संरक्षण, अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियां और बेहतर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हो सकता है। श्रम बाजार के परिणाम भी यहां उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं। बुनियादी आय की गारंटी के साथ महिलाएं अपनी रोजगार वार्ता में मजबूत सौदेबाजी की शक्ति प्राप्त करती हैं। वे शोषणकारी कार्य स्थितियों को अस्वीकार कर सकती हैं। साथ ही, बेहतर काम के अवसरों की तलाश में समय लगा सकती हैं। इससे असंगठित क्षेत्र में काम करने की स्थिति और मजदूरी में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है, जहां हमारी कई महिलाएं कार्यरत हैं।

साथ ही, मैं सबको आश्वस्त करना चाहूंगा कि इस अभूतपूर्व पहल को लागू करते समय, हम आगे आनेवालीं चुनौतियों के प्रति सचेत हैं। योजना का सुचारु रूप से जारी रखना, साथ ही पूरी पारदर्शिता बनाये रखना एवं राज्य के खजाने को बिना किसी पर भार दिये भरना और इस योजना की सार्थकता को लगातार मापना हमारी प्राथमिकता है। यह सुनिश्चित करते हुए कि योजना अपने उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए विकसित हो, हम फीडबैक और परिणामों के आधार पर नियमित मूल्यांकन और समायोजन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मंईयां सम्मान सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है – यह झारखंड के भविष्य के लिए हमारे मूल्यों और दृष्टिकोण का एक आईना है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना कर, हम सिर्फ शोषक साहूकारों से मुक्ति के आंदोलन के अगुवा आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपने को ही पूरा नहीं कर रहे हैं; हम एक ज्यादा न्यायसंगत, समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज की नींव रख रहे हैं। यह पहल दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल कायम करती है और सम्भावित रूप से सार्वभौमिक बुनियादी आय और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर राष्ट्रीय विमर्श को आकार देती है।

झारखंड की महिलाएं सच्ची आर्थिक आजादी और सामाजिक न्याय की दिशा में इस साहसिक कदम से कम की हकदार नहीं हैं। जय हिन्द, जय झारखंड।  

आपका

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ट्रेनिंग ग्राउंड, खोजाटोली, नामकुम, रांची में आयोजित झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के राज्यस्तरीय समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री

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– मुख्यमंत्री ने झारखंड मंईयां सम्मान योजना की बढ़ी हुई सम्मान राशि के रूप में 2500 रुपये प्रति माह देने की अपनी वचनबद्धता पूरी की

– 56 लाख 61 हजार 791 लाभुकों के खाते में 1415 करोड़ 44 लाख 77 हजार रुपये डीबीटी के माध्यम से किये हस्तांतरित

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 मुख्यमंत्री ने महिलाओं से कहा : मंईयां सम्मान योजना के माध्यम से  एक ऐसी व्यवस्था आपको दी है, जिसमें आपके सपनों को पूरा करने की पूरी क्षमता होगी

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_मुख्यमंत्री ने आधी आबादी से कहा : आप अपनी पूरी क्षमता और ताकत के साथ इस राज्य के विकास में अपनी भागीदारी निभायें

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_मुख्यमंत्री बोले – महिलाओं के मान-सम्मान, स्वाभिमान, हक-अधिकार और  स्वावलम्बी बनाने के लिए उठाये जा रहे ठोस कदम

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– इस राज्य को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

– _महिलाओं को आगे ले जाने में झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना मील का पत्थर साबित होगी

– झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को कई राज्य रोल मॉडल के रूप में देखते हुए अपनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं आगे

 – जब तक महिला और पुरुष कदम से कदम मिला कर नहीं चलेंगे, राज्य और देश आगे नहीं बढ़ेगा

– महिलाओं के जरिये राज्य की अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने का हो रहा प्रयास

रांची :  मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने रांची के नामकुम स्थित ट्रेनिंग ग्राउंड में आयोजित झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के राज्य स्तरीय समारोह में 56 लाख 61 हजार 791 बहन-बेटियों के बैंक खाते में 1415 करोड़ 44 लाख 77 हजार रुपये डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित कर राज्य को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प दोहराया। मुख्यमंत्री ने समारोह को सम्बोधित करते हुए महिलाओं से कहा, ‘हमने आपसे वादा किया था कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत हर माह एक हजार रुपये की सम्मान राशि को दिसम्बर माह से 2500 रुपये करेंगे, इसे पूरा कर रहे हैं। आज आप सभी के बैंक खाते में बढ़ी हुई राशि की पहली किस्त के रूप में  2500 रुपये का हस्तांतरण हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि अब आप सभी अपनी पूरी क्षमता और ताकत के साथ इस राज्य के विकास में अपनी भागीदारी निभायेंगी।’

_हमने जो कदम उठाया, उसे कई राज्य अपनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं आगे

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार ने आधी आबादी को सशक्त बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की परिकल्पना को जिस मजबूती के साथ धरातल पर उतारा है, उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। हमारी इस महत्त्वाकांक्षी योजना को कई अन्य राज्य रोल मॉडल के रूप में देखते हुए उसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मैं पूरे यकीन के साथ कर सकता हूं कि महिलाओं को आगे ले जाने में यह योजना निर्णायक साबित होगी।’

आपने जो आशीर्वाद और सम्मान दिया, उससे हमें एक नयी ताकत मिली

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपने हमें जो आशीर्वाद और सम्मान दिया है, उससे हमें एक नयी ऊर्जा और ताकत मिली है।  हमारी सरकार महिलाओं के मान -सम्मान-स्वाभिमान और हक-अधिकार देने के साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आपने आगे बढ़ने का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के मकसद से हमने इस योजना को लागू किया है। हमारे इस कदम से आप अपने घर-परिवार के साथ राज्य और देश को मजबूती देंगी।’

जब तक महिला-पुरुष कंधे से कंधा मिला कर नहीं चलेंगे, राज्य और देश नहीं आगे बढ़ेगा

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब तक महिला-पुरुष कदम से कदम मिला कर नहीं चलेंगे, यह राज्य और देश आगे नहीं बढ़ेगा। लेकिन, अफसोस इस बात का है कि इस देश में कई नीतियां, कार्यक्रम और योजनाएं बनीं, फिर भी आधी आबादी आज भी विकास से कोसों दूर है। महिलाओं को वह ताकत नहीं मिली, जिसके माध्यम से वे खुद और अपने घर परिवार के साथ राज्य और देश के विकास का हिस्सा बन सकें। इसी बात को ध्यान में रख कर हमने महिलाओं को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस दिशा में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के माध्यम से कदम बढ़ाने का काम किया है।’

आप इस पैसे से अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकेंगी

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के माध्यम से हमारी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था आपको दी है, जिसमें आपके सपनों को पूरा करने की पूरी क्षमता होगी। आप इस पैसे से ना सिर्फ अपनी जरूरत को पूरा कर सकेंगी, बल्कि उसके माध्यम से अपने बच्चों के बेहतर पठन-पाठन के साथ अपनी आमदनी को बढ़ाने का भी मौका मिलेगा। यह सिर्फ एक योजना मात्र नहीं है, बल्कि आपको आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाने का एक सशक्त माध्यम है।’

_महिलाओं से बेहतर पैसे का महत्त्व कोई नहीं समझ सकता

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘महिलाएं घर-परिवार भी चलाती हैं और कामकाज भी करती हैं। ऐसे में पैसे का महत्त्व उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। यही वजह है कि हमारी सरकार घर-परिवार चलानेवालीं महिलाओं पर राज्य को आगे ले जाने का जिम्मा भी सौंप रही है। अब महिलाओं के जरिये राज्य की अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने का प्रयास हो रहा है, क्योंकि इस राज्य को विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा करने में आधी आबादी की अहम भूमिका होगी।’

आपकी गतिविधियों में सरकार सहयोग करेगी

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस राज्य की बहन-बेटियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। हमारी सरकार समय-समय पर गांव- और देहातों का भ्रमण भी करेगी और यह जानने की कोशिश करेगी कि आर्थिक समृद्धि के लिए आपके द्वारा किन-किन गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। इस दिशा में सरकार द्वारा आपको आगे भी पूरा सहयोग मिलेगा।’

अभाव की जिन्दगी जीने को रहे मजबूर_

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस राज्य के संसाधनों के जरिये दूसरे राज्य रोशन हो रहे हैं। लेकिन, वर्षों से यहां के लोग अभाव की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। पिछड़ापन,गरीबी, बेरोजगारी, शोषण, कुपोषण और पलायन जैसी समस्याएं आज भी इस राज्य के विकास में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यहां के नीति -निर्धारकों की नजर में यह राज्य हमेशा हाशिये पर रहता आया है। लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा। इस राज्य को पिछड़ापन और गरीबी से मुक्ति दिलायेंगे और अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़ा करेंगे।’

_बैंकों को अपना नजरिया बदलना होगा

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘झारखंड के प्रति बैंकों का रुख बहुत अच्छा नहीं है। यहां के गरीब लोग बैंकों में जो पैसा जमा करते हैं, उसका इस्तेमाल कहीं और होता है। यहां के लोगों को बैंकों से जो मदद मिलनी चाहिए, वह नहीं मिलती है, लेकिन अब बैंकों को अपना रुख बदलना होगा और इस राज्य और यहां के लोगों की जरूरत के अनुरूप उन्हें कार्य करना होगा।’

इस समारोह में मंत्री राधा कृष्ण किशोर, मंत्री चमरा लिंडा, मंत्री संजय प्रसाद यादव, मंत्री इरफान अंसारी, मंत्री हफीजुल हसन, मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, मंत्री योगेंद्र प्रसाद, मंत्री सुदिव्य कुमार, मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, सांसद जोबा मांझी, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, सभी विधायकगण, अन्य गण्यमान्य अतिथिगण, राज्य सरकार के वरीय अधिकारीगण एवं सभी जिलों से बड़ी संख्या में पहुंचे मंईयां सम्मान योजना की लाभुक महिलाएं समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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पीएलएफआई के दो नक्सली गिरफ्तार, देसी रायफल और कारतूस बरामद

खूंटी : प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई के दो सक्रिय नक्सलियों को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से एक देसी रायफल और 11 जिन्दा कारतूस बरामद किये गये हैं। गिरफ्तार उग्रवादियों में विकास गोप और निमेश गोप शामिल हैं। दोनों कर्रा थाना क्षेत्र के रोन्हे गांव के रहनेवाले हैँ। इनकी गिरफ्तारी कर्रा थाना क्षेत्र के रोन्हे जंगल से हुई है। यह जानकारी तोरपा कें अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ख्रिस्टोफर केरकेट्टा ने सोमवार को अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।

एसडीपीओ ने बताया कि गिरफ्तार नक्सलियों के पास से एक देसी रायफल के अलावा आठ एमएम का दो जिन्दा कारतूस, 7.65 एमएम के नौ जिन्दा कारतूस, दो मोबाइल फोन तथा पीएलएफआई का पर्चा बरामद किया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक अमन कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के नक्सली रोन्हे जंगल में किसी घटना को अंजाम देने के लिए बैठक करनेवाले हैं। इस सूचना के अलोक में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। टीम ने रोन्हे जंगल में छापेमारी कर पीएलएफआई के विकास गोप और निमेश गोप को हथियार के साथ गिरफ्तार किया। उनकी तलाशी लेने पर इनके पास से रायफल, गोली आदि बरामद किये गये।

गिरफ्तार विकास गोप के खिलाफ पूर्व से कर्रा थाना में आर्म्स एक्ट एवं 17 सीएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज है। दोनों मामले में वह जेल जा चुका है। फिलहाल, वह जमानत पर छूटा था।

गिरफ्तार विकास गोप और निमेश गोप ने खूंटी में हुई फायरिंग की घटना के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण जानकारी पुलिस को दी। उन्होंने बताया कि फायरिंग में होटवार जेल में बंद शिवकुमार साहु ऊर्फ चरकू तथा खूंटी और रांची क्षेत्र में सक्रिय पीएलएफआई के उग्रवादियों का हाथ है, जो फिलहाल फरार हैं। एसडीपीओ ने बताया कि दहशत फैलाने के लिए फायरिंग की गयी थी।

छापेमारी टीम में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ख्रिस्टोफर केरकेट्टा के अलावा पुलिस इंस्पेक्टर अशोक कुमार सिंह, कर्रा थाना प्रभारी मनीष कुमार, रनिया थाना प्रभारी विकास कुमार जायसवाल, जरियागढ़ थाना प्रभारी राजू कुमार, सब इंस्पेक्टर दीपक कांत कुमार के अलावा अनीस बारला, तालकेश्वर यादव आदि शामिल थे।

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