Kolkata news : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीन दिनों में दूसरी बार रविवार को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने बंगाल सरकार से राय मशविरा किए बगैर अपने बांधों से एकतरफा पानी छोड़ा, जिससे कई जिले जलमग्न हो गए हैं। डीवीसी की मनमानी से दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ सी स्थिति उत्पन्न हो गई है और व्यापक तबाही हुई है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के दावों पर बिफरी ममता, कहा- मंत्रालय ले रहा एकतरफा निर्णय
ममता द्वारा प्रधानमंत्री को शुक्रवार को लिखे गए पहले पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा था कि राज्य के अधिकारियों को डीवीसी बांधों से पानी छोड़े जाने के बारे में हर स्तर पर सूचित किया गया था, जो किसी बड़ी आपदा को रोकने के लिए आवश्यक था। ममता ने मोदी को लिखे दूसरे पत्र में कहा है कि जल शक्ति मंत्री का दावा है कि डीवीसी बांधों से पानी छोड़ने का निर्णय बंगाल सरकार के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श सहित दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति के साथ आम सहमति और सहयोग से किया गया था, मैं इससे असहमत हूं। उन्होंने कहा कि सभी महत्वपूर्ण निर्णय केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा राज्य की सहमति के बिना एकतरफा लिए जाते हैं।
साढ़े तीन घंटे की सूचना पर नौ घंटे तक छोड़ा गया पानी, प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए यह अपर्याप्त
ममता ने दावा किया कि कभी-कभी राज्य सरकार को बिना किसी सूचना के पानी छोड़ दिया जाता है और उनकी सरकार के विचारों का सम्मान नहीं किया जाता। इसके अलावा जलाशयों से अधिकतम नौ घंटे तक पानी छोड़ा गया, जो केवल 3.5 घंटे की सूचना पर किया गया, जो प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए अपर्याप्त साबित हुआ। इससे पहले शुक्रवार को पीएम मोदी को लिखे पत्र में ममता ने दावा किया था कि राज्य में 50 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और उन्होंने इस तबाही से निपटने के लिए तत्काल केंद्रीय निधि जारी करने का भी आग्रह किया था। ममता ने पत्र में डीवीसी के साथ सभी समझौतों को तोड़ने की भी चेतावनी दी थी।