Health Tips : अक्सर जिन्हें डिप्रेशन आ घेरता है, वे किसी न किसी निजी परेशानी के कारण ही इस रोग के घेरे में आते हैं। डिप्रेशन का रोगी कभी-कभी तो इस कदऱ परेशान हो उठता है कि उसे छोटी से छोटी चीज़ को लेकर डिप्रेशन आता है। कोफ्त और दूसरों से ईर्ष्या, यहां तक कि उसका खाने-पीने से भी मन उचाट हो उठता है। खाने की तरफ देखने का भी उसका मन नहीं करता। घर में रहने पर उसे अपना कमरा बंद करके सिर्फ सोना ही अच्छा लगता है।ऊपर जिन बातों का जिक्र यहां किया गया है, वह भी खाने-पीने से कोसों दूर हैं। आइए, जानते हैं, ऐसे ही कुछ सरल उपाय, जिन्हें अपनाने से आपको तनाव के खोल से बाहर निकलने का मौक़ा मिलेगा।
खाने-पीने के सम्बन्ध में
ज़रूरी नहीं कि मानसिक तनाव होने पर खाना छोड़ने से आपके तनाव में कुछ कमी होगी, बल्कि इस तरह से तो आप अपने साथ अन्याय कर रहे हैं।
क्या खायें…
● हमेशा खाने को हल्का गर्म कर के खायें।
● खाने में अनाज की मात्रा ज़्यादा लें और खाने के बाद मिठाई (थोड़ी-सी) खायें।
● डिप्रेशन के रोगी के लिए सभी तेल गुणकारी होते हैं ; खासकर जैतून का तेल।
● अगर खाना किसी वक्त न खाने का मन कर रहा हो, तो मौसमी फल जैसे संतरा, अंगूर या सेब आपके हित में होंगे।
● दूध या दूध से बनीं वस्तुएं ; जैसे क्रीम, दही, चीज़ आदि का सेवन आपके लिए सर्वोत्तम है।
● अच्छे से पकी हुईं सब्जियां ; जैसे शकरकंद, गाजर, पत्ता गोभी भी इस अवस्था में फायदेमंद होते हैं।
क्या न खायें…
● इस रोग में कच्ची सब्जिय़ों का सेवन न करें।
● कटे हुए फल जो गली, नुक्कड़ों में मिलते हैं, उसका सेवन कदापि न करें।
● मांसाहारी चीज़ों का सेवन कदापि न करें।
● कुछ समय से फ्रिज में पड़ी हुईं सब्जिय़ों को न खायें।
● डिप्रेशन में आकर कॉफी, चाय, अल्कोहल का सेवन ज़्यादा न करें।
भक्ति करना भी है जरूरी
बता दें कि व्यायाम या मेडिटेशनडिप्रेशन के माध्यम से इससे एकदम से बाहर निकलना सहज होने लगता है। ऐसे में किसी भक्ति में अपने को लीन करने से, ईश्वर का ध्यान करने से, योगा करने से, नियमित व्यायाम करने से इस अवस्था से धीरे-धीरे बाहर आया जा सकता है। अपने ध्यान को किसी और तरफ करें। ऑफिस में कोई परेशानी होने पर या घर में किसी दुखद घटना होने से हमें कभी-कभी डिप्रेशन का शिकार होना पड़ सकता है। किसी भी स्थिति से अपने को उबार पाना वैसे तो मुश्किल काम है, लेकिन यदि वक्त के साथ आप अपने को बाहर निकालने में प्रयास करें, तभी उबर पायेंगे। किसी अप्रिय घटना के होने से दु:ख तो आता है, लेकिन उस दुख को झेल कर पार पानेवाला ही वाकई में काबिले तारीफ होता है। अपने दुख को भूल कर दूसरों का दुख बांटनेवाले व्यक्ति को जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। गीतों को सुनिए, उन्हें गुनगुनाइए, किताबों को अपना दोस्त बनाइए और फिर दुनिया आपको अलग नजर आयेगी। सकारात्मक सोच से जीवन को जीना सीखिए। ज्यादातर डिप्रेशन रोगी निराशावादी ; अर्थात नकारात्मक सोचवाले होते हैं। जीवन में सकारात्मक सोच रखनेवाले ही सफल हो पाते हैं। अपने काम से कुछ ऐसा करें कि आपको लोग अलग ही समझें। अपने को दूसरों से हीन नहीं, बल्कि श्रेष्ठ समझिए। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं कि आप घमंड का शिकार हो जायें।