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सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही रुक सकता है किसानों का पलायन : द्रौपदी मुर्मू

सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही रुक सकता है किसानों का पलायन : द्रौपदी मुर्मू

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• भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे, शताब्दी समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति 

Ranchi News : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि झारखंड के प्रति मेरा विशेष लगाव है। धरती आबा बिरसा मुंडा की धरती पर आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से बहुत स्नेह मिला है। राज्यपाल के तौर पर मैंने यहां कई वर्षों तक काम किया है। वह शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह को सम्बोधित कर रही थीं।

झारखंड से मेरा विशेष लगाव है


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा के जयकारे के साथ किया। उन्होंने कहा, ‘झारखंड से मेरा विशेष लगाव है। 2017 में इस संस्थान के साथ मिल कर मैंने कृषि मेले का उद्घाटन किया था। संस्थान ने लाख, रेजिन जैसे कई उत्पादों में विशेष योगदान दिया। लाख के उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित करने का मुझे मौका मिला। उस समय मुझे बताया गया कि किसान लाह द्वारा कैसे लाभान्वित होते थे। आज इस संस्थान के शताब्दी वर्ष पूरे होने पर मुझे अत्यन्त खुशी हो रही है।’

आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना है, मगर इसके दुष्प्रभाव से भी बचना है


मुर्मू ने कहा कि आज का दौर आधुनिक तकनीक का है । इसका इस्तेमाल करना है, मगर इसके दुष्प्रभाव से भी बचना है। अभी भी अनेक क्षेत्र हैं, जहां हम और आगे जा सकते हैं। लाह के उत्पादन, सप्लाई चैन और मार्केटिंग में सुधार किया जाये, तो हम लाह की खेती में और आगे बढ़ सकते हैं। गांवों में कृषि आधारित भंडारण नीति बनायी जा रही है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी कृषि एवं उत्पाद कैसे आगे बढ़े, इसके लिए काम करने जरूरत है। मगर, आज भी हमारे किसान गरीबी में जीने को विवश हैं। इस दिशा में काम करने की जरूरत है। सेकेंडरी कृषि इसका विकल्प हो सकती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वे गांव में नहीं छोड़ेंगे। सेंकेंडरी कृषि उत्पाद से हम बेहतर दिशा में बढ़ सकते हैं। वेस्टेज वस्तुओं को रीसाइकलिंग करके उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुएं बनायी जा सकती हैं। एक बदाम के छिलके से कैसे वे लाभान्वित हो सकते हैं। यह संस्थान लाह के साथ गम के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस संस्थान का लाभ अन्य संस्थानों को मिलना चाहिए। यह संस्थान प्रशिक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है।

स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं


उन्होंने कहा कि भारत में लाह का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इस संस्थान में लाह के साथ-साथ कई लाह से जुड़े कई उत्पाद किये जा रहे हैं। यह भी गर्व की बात है कि झारखंड में इसका उत्पादन देश में 55 प्रतिशत है। कौशल विकास के लिए भी प्रशिक्षण आयोजन किया जाता है। एसएजी समूह की बहने बहुत मेहनती हैं, जो कृषि के साथ अन्य उत्पाद से जुड़े हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि जानकारी मिली कि जो रॉ लाह होता है, वह 100-200 में भेजा जाता था, लेकिन बाद में जब विदेश भेजा जाता था, तो उसकी कीमत 3000-4000 होती थी। मैं जब दौरा करती थी, राज्य के अलग-अलग जिला में, तो मैं पलामू गयी थी। पलामू जाने पर मुझे पता चला कि पलामू का नाम पलाश, लाह और महुआ के नाम पर रखा गया है। हमारे देश के कई राज्यों में लाह की फार्मिंग की जाती है। भारत के कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत से अधिक लाख उत्पादन झारखंड में किया जाता है। भारत में लाह का उत्पादन जनजातियों द्वारा किया जाता है। अंत में उन्होंने कहा, ‘मैं सभी किसान भाई-बहनों, संस्थान से जुडे़ सभी लोगों, यहां उपस्थित सभी लोगों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।’

कोल्ड स्टेरेज बनाने पर दिया जोर

राष्ट्रपति ने कहा कि जो सब्जी उत्पादन करते हैं, लेकिन उसके बाद सब्जी खराब हो जाती है। इसलिए अधिकारियों से निवेदन है कि कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाये। आज का दौर विश्व रुपी का है, परंतु दुष्परिणाम से बचना है। अभी भी कई क्षेत्र हैं, जहां हम आगे जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सप्लाई चेन, बाजार की व्यवस्था करने से किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है। कृषि के विकास के लिए कई कार्य किये जा रहे हैं। सहकारिता क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण की व्यवस्था की है। पीएम किसान निधि से लाभ दिया जा रहा है।

पशुपालन से होगा छोटे किसानों को लाभ

उन्होंने कहा कि किसान आज भी गरीबी में जी रहे हैं। उन्होंने मधुमक्खी, पशुपालन से विकास, गांवों में छोटे उद्योगों से किसानों को लाभ होगा। कई वेस्ट चीजें फेंक देते हैं जिससे भी हम प्रसंस्करण कर लाभ ले सकते हैं। देश के साथ विदेशों में भी कृषि उत्पादन में पैठ होनी चाहिए। संस्थान को अन्य संस्थानों से मिल कर काम करना चाहिए।

बतौर राज्यपाल अपने कार्यकाल को किया याद

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने राज्यपाल के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘जब मैं पलामू गयी थी, तो वहां मुझे बताया गया कि पलाश, लाख एवं महुआ के नाम पर पलामू का काम रखा गया है। लाख का 55 प्रतिशत उत्पादन होता है, जो जनजातीय समुदाय द्वारा जाता है। लाख आधारित विकास को बढ़ावा दिया जाता है। जीवन यापन को सुधारने में लाभकारी है। किसानों एवं उद्यमियों की समस्या के समाधान के लिए कार्य किया जा रहा है।’

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने संस्थान के परिसर में “एक पेड़ मां के नाम”  कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ तथा झारखंड की कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह भी शताब्दी समारोह में उपस्थित रहीं। इस दौरान अन्य गण्यमान्यों की गरिमामयी उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही।

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पावन भूमि झारखंड से प्रस्थान के क्रम में बिरसा मुंडा हवाई अड्डा, रांची में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार तथा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने द्रौपदी मुर्मू को स्मृति चिह्न भेंट किया।

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