New Delhi News: महिलाओं से सम्बन्धित मामलों के जल्द निपटारे के लिए अब राज्यों में नारी कोर्ट की शुरुआत की जायेगी। इस सम्बन्ध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सचिवों को चिट्ठी लिख कर नारी कोर्ट शुरू करने का अनुरोध किया है।
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने मंगलवार को शास्त्री भवन में एक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि नारी कोर्ट योजना स्थानीय समुदायों के भीतर महिलाओं के छोटे-मोटे विवादों के समाधान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि नारी कोर्ट शुरू करने के लिए सभी राज्यों को पत्र भेजा गया है। मौजूदा समय में असम और जम्मू-कश्मीर के 50-50 ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर नारी कोर्ट चल रहे हैं। असम में साल 2023-24 में दर्ज 102 मामलों में से 76 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में साल 2023-24 में दर्ज 180 मामलों में 144 मामलों का निपटारा किया जा चुका है।
‘राज्य में 10 या केन्द्र शासित प्रदेश में 05 ग्राम पंचायतों में नारी कोर्ट स्थापित करने के प्रस्ताव भेजें‘
इस सम्बन्ध मे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव अनिल मलिक ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सचिवों को लिखी चिट्ठी में कहा कि राज्य में कम से कम 10 ग्राम पंचायतों या अपने केन्द्र शासित प्रदेश में 05 ग्राम पंचायतों में पायलट आधार पर नारी कोर्ट स्थापित करने के प्रस्ताव भेजें। इस सम्बन्ध में असम, बिहार, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से प्राप्त प्रस्तावों को मंत्रालय पायलट आधार पर कुछ नारी कोर्ट स्थापित करने के लिए पहले ही स्वीकार कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि नारी कोर्ट, मिशन शक्ति के तहत “सम्बल” उप-योजना का एक घटक है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को त्वरित, सुलभ और किफायती न्याय के लिए आपसी सहमति से बातचीत, मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से ग्राम पंचायत