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नोएल टाटा बने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन

नोएल टाटा बने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन

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रतन टाटा के सौतेले भाई, उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए कुछ समय से तैयार किया जा रहा था

Mumbai news :  रतन टाटा से बीस साल छोटे 66 साल के नोएल टाटा अब ‘टाटा ट्रस्ट’ के चेयरमैन होंगे। वह रतन टाटा सौतेले भाई हैं। 9 अक्टूबर को रतन के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे। हालांकि उनके भाई जिम्मी का नाम भी चर्चा में था, लेकिन वह पहले ही रिटायर हो चुके हैं। मुंबई में ट्रस्ट की मीटिंग में नोएल के नाम पर सहमति बनी। इसका आधिकारिक ऐलान बाद में किया जाएगा। नोएल, नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। वहीं रतन टाटा और जिम्मी टाटा नवल और उनकी पहली पत्नी सूनी की संतान हैं।

नोएल को चुने जाने की 5 वजहें

1. टाटा ग्रुप के साथ करीब से जुड़े पारसी समुदाय में ज्यादातर का कहना यह था कि चेयरमैन उसे बनाया जाए, जिसके नाम में टाटा जुड़ा हो। इसलिए नोएल को एकमत से चुन लिया गया।

2. नोएल टाटा ग्रुप से 40 साल से ज्यादा समय से जुड़े हुए हैं। नोएल टाटा सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रनत टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। इन ट्रस्ट का टाटा संस में मेजॉरिटी शेयर है। टाटा ग्रुप के साथ लंबे समय से जुड़ाव और इन ट्रस्टों में अपने रोल की वजह से नोएल चेयरमैनशिप के लिए फ्रंट रनर थे।

3. नोएल 2014 से ट्रेंट लिमिटेड के चेयरमैन हैं। ट्रेंट जुडियो और वेस्टसाइड की ओनर है। इनकी लीडरशिप में पिछले 10 साल में कंपनी के शेयरों में 6 हजार फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है।

4. बोर्ड ने रतन टाटा के अंतिम संस्कार के अगले ही दिन मीटिंग में उन्हें श्रद्धांजलि दी और ट्रस्ट के चेयरमैन पर फैसला लिया। यह फैसला रतन टाटा की फिलॉसफी पर ही लिया गया, जो कहती है कि चलते रहना है। यानी लीडरशिप में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए।

5. नोएल को इस जिम्मेदारी के लिए कुछ समय से तैयार किया जा रहा था।

नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से करियर शुरू की

नोएल ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से पढ़ाई की है। नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की। 1999 में वे ग्रुप की रिटेल शाखा ट्रेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए गए। इसे उनकी मां सिमोन ने शुरू किया था। 2010-11 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद उनके ग्रुप के चेयरमैन बनाए जाने पर चर्चा शुरू हो गई। इस बीच सायरस मिस्त्री ने खुद टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाए जाने की बात कही। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया और रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली। 2018 में उन्हें टाइटन का वाइस चेयरमैन बनाया गया और 2017 में उन्हें ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया।

ग्रुप में टाटा ट्रस्ट की 66 फीसदी हिस्सेदारी

टाटा ट्रस्ट की अहमियत और आकार इस तरह समझ सकते हैं कि यह टाटा ग्रुप की परोपकारी संस्थाओं का समूह है। ये 13 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाले टाटा ग्रुप में 66 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। टाटा ट्रस्ट में सर रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट शामिल हैं। गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले ये ट्रस्ट, रतन टाटा की विरासत का अभिन्न अंग हैं।

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