New Delhi news : कर्नाटक में किसानों की जमीन को वक्फ की सम्पत्ति बताकर नोटिस भेजने के मामले में हो रही किरकिरी के मद्देनजर राज्य सरकार ने अब यू-टर्न लिया है। इस मु्द्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीखे हमलों के बाद शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सभी विभागों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को नोटिस तुरन्त वापस लेने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने अफसरों से यह भी कहा कि किसी भी किसान को दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति बता कर नोटिसें भेजी गयी थीं। राज्य के विजयपुरा, कलबुर्गी, बीदर और शिवमोग्गा के किसानों ने नोटिस मिलने की शिकायत की थी। नोटिस में उनकी जमीन को वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति बताया गया था। इसे लेकर भाजपा ने सिद्धारमैया सरकार की जबर्दस्त घेराबंदी की। कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटील ने भी तीन दिन पहले बयान दिया था कि सरकार का किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति में बदलने का कोई इरादा नहीं है और अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जायेगा।
क्या है मामला
इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक वक्फ बोर्ड की ओर से किसानों को नोटिस मिला था कि वे अपनी पुश्तैनी जमीन खाली कर दें। इससे नाराज किसानों ने महाराष्ट्र की सीमा से लगे उत्तरी कर्नाटक के विजयपुरा जिला मुख्यालय शहर में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय पर प्रदर्शन किया। भूमि अभिलेखों और पंजीकृत भूमि दस्तावेजों को अपने हाथों में लिए प्रदर्शनकारी किसानों ने आरोप लगाया कि आवास एवं वक्फ मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान के विजयपुरा दौरे के तुरंत बाद उन्हें नोटिस दिया गया और उन्होंने उपायुक्त को वक्फ भूमि पर बैठे किसानों को नोटिस देने के निर्देश दिये। वक्फ बोर्ड पर अक्सर मनमाने तरीके से दूसरों की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति घोषित करने का आरोप लगता रहता है। वक्फ अधिनियम 1995 के अनुसार राज्य वक्फ बोर्ड किसी भी सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित कर सकता है और अगर उसका मालिक यह साबित करने में विफल रहता है कि सम्पत्ति उसकी है, तो वह सम्पत्ति वक्फ बोर्ड की हो जायेगी।