New Delhi news : प्राकृतिक तेल एवं गैस उत्खनन के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने सहित इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों के समाधान के उद्देश्य से लाये गये तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 को मंगलवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया।
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री
हरदीप सिंह पुरी ने सदन में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत होती है। गहरे समुद्र में एक तेल का कुआं बनाने पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करना पड़ता है। कम्पनियों को इतना बड़ा निवेश करने के एवज में लाभ चाहिए होता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद इस क्षेत्र के लिए स्थिर कानून, विवाद निपटारा, एकल लीज आदि की वैधानिक व्यवस्था करना है। इससे किसी भी राज्य सरकार का अधिकार नहीं छीना जा रहा है, क्योंकि तेल क्षेत्र के आवंटन और उस पर रॉयल्टी का अधिकार राज्यों के पास ही है।
उन्होंने चर्चा के दौरान सदस्यों द्वारा उठाये गये सवालों का जबाव देते हुए कहा कि देश में सात नहीं, बल्कि 72 दिनों के लिए अपात तेल भंडार है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2020 के बाद उत्पन्न वैश्विक स्थिति के कारण रूस से अधिक तेल खरीदा जा रहा है। पहले खाड़ी देशों से तेल का अधिक आयात किया जाता था लेकिन अभी इसमें कमी आयी है। हरदीप पुरी ने कहा कि तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार तेल क्षेत्र के विवाद के हल के लिए मध्यस्थता की व्यवस्था रहेगी और अधिकार क्षेत्र की व्यवस्था इसलिए है ताकि नियमों का उल्लंघन न हो। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम लीज का जिम्मा आज भी राज्यों के पास ही रहेगा।
मंत्री ने कहा कि भारत तेजी से ऊर्जा क्षेत्र में भविष्य की ओर एक ऐतिहासिक कदम बढ़ा रहा है, क्योंकि आज तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम 1948 में ऐतिहासिक संशोधनों को राज्य सभा में सफलतापूर्वक पारित कर दिया गया। प्रस्तावित युगांतकारी संशोधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र के नेतृत्व में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को और मजबूत और आगे बढ़ायेंगे तथा नीतिगत स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता, विस्तारित पट्टे अवधि आदि सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तहत खनन पट्टे की परिभाषा में संशोधन किया जा रहा है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम के लागू होने से पहले दिए गए पट्टे खनन पट्टे कहलायेंगे। इसके बाद, उक्त शब्दावली का प्रयोग बंद कर दिया जायेगा और खंड (एफ) में परिभाषित पेट्रोलियम पट्टे शब्द का प्रयोग किया जायेगा।