Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

संसद में हमारा आचरण ऐसा हो, जिससे भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हो : मोदी 

संसद में हमारा आचरण ऐसा हो, जिससे भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हो : मोदी 

Share this:

▪︎”हुड़दंगबाजी से संसद को नियंत्रित करने की कोशिश करनेवालों को जनता ने नकारा

▪︎ “ये संसद में चर्चा नहीं होने देते, ना लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते, ना ही जन आकांक्षाओं का”

▪︎”परिणाम स्वरूप जनता को बार-बार इन्हें करना पड़ रहा है रिजेक्ट

New Delhi News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र बहुत उत्पादक होगा और उम्मीद जतायी कि इससे भारत की वैश्विक स्थिति को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के बाहर शीतकालीन सत्र से पहले मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसद के समय का उपयोग और सदन में हमारा व्यवहार ऐसा होना चाहिए, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत को जो सम्मान मिला है, वह और मजबूत हो।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे ना संसद में चर्चा होने देते हैं, ना लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं, ना ही वो लोगों की आकांक्षाओं का कोई महत्त्व समझते हैं। परिणाम स्वरूप जनता को बार-बार उनको रिजेक्ट करना पड़ रहा है।

लोकतंत्र की शर्त है कि हम जनता की भावनाओं का सम्मान करें
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की शर्त है कि हम जनता की भावनाओं का सम्मान करें और उनकी आशाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए दिन-रात मेहनत करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बार-बार ; खासकर विपक्ष के साथियों से आग्रह करते रहे हैं और कुछ विपक्षी बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करते भी हैं। उनकी भी इच्छा रहती है कि सदन में सुचारु रूप से काम हो, लेकिन लगातार जिनको जनता ने नकार दिया है, वे अपने साथियों की बात को भी दबा देते हैं , उनकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं, लोकतंत्र की भावनाओं का अनादर करते हैं।

26 नवंबर को सदन में सब मिल कर संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत करेंगे”
इस सत्र के महत्त्व के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2024 का यह अंतिम कालखंड चल रहा है और देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है। संसद का यह सत्र कई मायनों में विशेष है और सबसे महत्त्वपूर्ण बात संविधान के 75वें वर्ष में प्रवेश है। उन्होंने कहा कि कल (26 नवंबर) संविधान सदन में सब मिल कर इस संविधान के 75वें वर्ष की, उसके उत्सव की शुरुआत करेंगे।

हमारे नये साथियों के पास नये विचार हैं, भारत को आगे ले जाने के लिए नयी-नयी कल्पनाएं हैं
नये संसद सदस्यों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे नये साथियों के पास नये विचार हैं। भारत को आगे ले जाने के लिए नयी-नयी कल्पनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संसद से वह संदेश भी जाना चाहिए कि भारत के मतदाता, उनका लोकतंत्र के प्रति समर्पण, उनका संविधान के प्रति समर्पण, उनका संसदीय कार्य पद्धति पर विश्वास, संसद में बैठे हुए हम सबको जनता-जनार्दन की इन भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा।

Share this: