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अपने संविधान के 75 साल पूरे होने पर शानदार जश्न की हो रही तैयारी

अपने संविधान के 75 साल पूरे होने पर शानदार जश्न की हो रही तैयारी

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• खास मौके पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की योजना

• पूरे साल देशभर में होंगे कई कार्यक्रम और समारोह

New Delhi news : भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने पर इस बार भव्य जश्न मनाने की तैयारी की जा रही है। इस खास मौके पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में संसद का संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है। इस खास आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज हस्तियों के शामिल होने की उम्मीद है। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों के सांसद भी इसमें हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, पूरे साल देशभर में कई कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाएंगे।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मंत्रियों के एक समूह की अध्यक्षता कर रहे हैं जिसमें केंद्र में शामिल सहयोगी दलों के कई मंत्री भी शामिल हैं। सरकार की योजना इस मौके पर बौद्धिक हलकों, स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय संविधान और उसके सिद्धांतों पर बैठक, सेमिनार और चर्चाएं आयोजित कराके इसे भव्य रूप से मनाने की है। इन कार्यक्रमों में सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और राज्यों के अन्य संवैधानिक पदाधिकारी भी शामिल होंगे।

पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल को अब संविधान सदन भी कहा जाता है

पुराने संसद भवन का सेंट्रल हॉल, जिसे अब संविधान सदन भी कहा जाता है, ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। 14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता का हस्तांतरण इसी हॉल में हुआ था। भारतीय संविधान का निर्माण भी सेंट्रल हॉल में ही किया गया था। सेंट्रल हॉल का इस्तेमाल पहले तत्कालीन केंद्रीय विधान सभा और स्टेट्स काउंसिल के पुस्तकालय के रूप में किया जाता था। 1946 में इसे संविधान सभा हॉल में बदल दिया गया और इसे नया रूप दिया गया। संविधान सभा की बैठकें 9 दिसंबर, 1946 से 24 जनवरी, 1950 तक यहीं पर हुई थीं।

इस हॉल का उपयोग संसद के संयुक्त सत्र के लिए होता था

नए संसद भवन के निर्माण तक इस हॉल का उपयोग संसद के संयुक्त सत्र और बजट सत्र से पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए किया जाता था। हालांकि अब यह संविधान सदन का हिस्सा है और सांसदों की ओर से अनौपचारिक बैठकों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मोदी सरकार की यह पहल रही है कि इस दिन को हर साल पूरे जोश के साथ मनाया जाए, खासकर संसद में जहां इस पर बहस और चर्चा होती है। पिछले साल का जश्न विवादों से घिरा रहा था जब पूरे संयुक्त विपक्ष ने इसे दिखावा बताते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था। विपक्ष का तर्क था कि 2014 से मोदी सरकार में संविधान खतरे में है।

भारतीय संविधान की शक्ति से अवगत कराएं

हालांकि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई मुख्यमंत्री परिषद की बैठक के दौरान उन्होंने संविधान दिवस के जश्न का जिक्र किया था। उन्होंने न केवल सभी एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों से इस महान अवसर पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कहा बल्कि अपने एनडीए सहयोगियों से यह भी कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे लोगों को भारतीय संविधान की शक्ति से अवगत कराएं जो कि एक ठोस नींव पर आधारित है। यह बयान विपक्षी दलों की ओर से एक झूठा नैरेटिव बनाने की कोशिश के बाद आया था कि अगर भाजपा को 400 से ज्यादा सीटें मिलीं तो वह संविधान में निहित आरक्षण नीति को बदल देगी। इसका असर 2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए के प्रदर्शन पर भी पड़ा।

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