New Delhi news : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 116वें एपिसोड में फिर डिजिटल अरेस्ट से हो रही ठगी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोगों को समझाना होगा कि सरकार में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यह लोगों के खिलाफ साजिश है। गोपालगंज की लाइब्रेरी का जिक्र लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाइब्रेरी से समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकें छात्रों के काम आ रही हैं। उन्होंने छात्रों से किताबों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि किताबों से दोस्ती बढ़ाने में जीवन में बड़ा बदलाव आएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गोपालगंज में खुले लाइब्रेरी से आसपास के कई शहरों में चर्चा होने लगी है। लाइब्रेरी खुलने से आसपास के 12 गांवों के युवा भी पुस्तकें पढ़ने के लिए पहुंच रहे हैं। गोपालगंज के 12 गांव के छात्रों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने लाइब्रेरी के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी छात्रों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रहा है। गोपालगंज के जिला शिक्षा कैंपस में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में आज छात्रों का रुझान बढ़ा है। यहां पर 100 सीट हैं, लेकिन 150 से अधिक छात्र हर रोज पुस्तक पढ़ने के लिए आते हैं। छात्रों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाइब्रेरी के बारे में चर्चा किए जाने पर खुशी जताई है। वहीं, दूसरी तरफ गोपालगंज के डीएम प्रशांत कुमार सीएच का भी लाइब्रेरी ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। डीएम ने इस केंद्रीय पुस्तकालय और विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
महाराष्ट्र में बंपर जीत के बाद प्रधानमंत्री ने रविवार को नेशनल कैडेट कॉर्प्स यानी एनीसीसी दिवस पर अपने स्कूल के दिनों को याद किया। इतना ही नहीं पीएम ने देश के युवाओं को एनीसी से जुड़ने की अपील भी की। इसके अलावा पीएम ने बताया कि 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती के मौके पर भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होगा। इसे ‘विकसित भारत यूथ लीडर्स डॉयलॉग’ नाम दिया है। मोदी ने इसके अलावा उन्होंने अपनी गुआना की विदेश यात्रा का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने सबसे पहले एनसीसी का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि एनसीसी से मुझे अपने स्कूल के दिन याद आते हैं। एनसीसी दिवस पर मोदी ने कहा कि मैं स्वयं भी एनसीसी कैडेट रहा हूं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे मिला अनुभव मेरे लिए अनमोल है। एनसीसी, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है। पीएम मोदी ने कहा कि एनसीसी को मजबूत करने के लिए लगातार काम हो रहा है। मोदी ने कहा कि 2014 में करीब 14 लाख युवा एनसीसी से जुड़े और 2024 में 20 लाख युवा इससे जुड़े हैं। पीएम ने आगे कहा कि पहले एनसीसी में गर्ल्स कैडेट की संख्या कम थी, पर अब इसमें 25 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी हो गई है।
पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि देश के कई हिस्सों में युवा बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं। तरह-तरह के इनोवेशन कर रहे हैं। इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं। ये युवा अपने प्रयासों से सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को भी बढ़ावा दे रहे हैं। मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास वाकई बहुत प्रेरक है। अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियां, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं।
गौरैये के योगदान का जिक्र
पीएम मोदी ने बताया कि हमारे आसपास जैव विविधता को बनाए रखने में गौरैया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन आज शहरों में गौरैया को बड़ी मुश्किल से देखा जा सकता है। बढ़ते शहरीकरण के कारण गौरैया हमसे दूर चली गई है। आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरैया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है। ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं। मोदी ने बताया कि चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरैया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है। संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरैया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है। यह संस्थान बच्चों को गौरैया का घोंसला बनाने की ट्रेनिंग देता है। इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया। इसमें गौरैया के रहने, खाने का इंतजाम किया।
गयाना में बसता है मिनी भारत
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में अपने गयाना दौरे का भी जिक्र किया। मोदी ने बताया कि भारत से हजारों किलोमीटर दूर गयाना में भी एक ‘मिनी भारत’ बसता है। आज से लगभग 180 वर्ष पहले, गयाना में भारत के लोगों को खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए ले जाया गया था। आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं। गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं। मोदी ने आगे कहा कि गयाना की तरह ही दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों की संख्या में भारतीय हैं। दशकों पहले की 200-300 साल पहले की उनके पूर्वजों की अपनी कहानियां हैं। क्या आप ऐसी कहानियों को खोज सकते हैं कि किस तरह भारतीय प्रवासियों ने अलग-अलग देशों में अपनी पहचान बनाई? कैसे उन्होंने वहाँ की आजादी की लड़ाई के अंदर हिस्सा लिया? कैसे उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को जीवित रखा?
चेन्नई में बच्चों के लिए खास लाइब्रेरी
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि मैं चेन्नई का एक उदाहरण आपसे शेयर करना चाहता हूं। यहां बच्चों के लिए एक ऐसी लाइब्रेरी तैयार की गई है, जो क्रिएटिविटी और लर्निंग का हब बन चुकी है। बिहार में गोपालगंज के प्रयोग लाइब्रेरी की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है। मोदी ने इस लाइब्रेरी के बारे में बात करते हुए बताया कि इस लाइब्रेरी का आइडिया टेक्नोलॉजी की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालकृष्णन जी की देन है। विदेश में काम करते हुए वे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से जुड़े रहे। लेकिन, वो बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे। भारत लौटकर उन्होंने प्रकृति अरिवगम को बनाया। इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है।
विवेकानंद जयंती पर होगा युवा विचारों का महाकुंभ
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश ‘युवा दिवस’ मनाता है। अगले साल स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती है। इस बार इसे बहुत खास तरीके से मनाया जाएगा। इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है ‘विकसित भारत यूथ लीडर्स डॉयलॉग’। मोदी ने आगे कहा कि मैंने लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने का आहवान किया है,जिनके परिवार का कोई भी व्यक्ति और पूरे परिवार का राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है,ऐसे एक लाख युवाओं को,नए युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई तरह के विशेष अभियान चलेंगे। ‘विकसित भारत यूथ लीडर्स डॉयलॉग’ भी ऐसा ही एक प्रयास है।
डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट से बुजुर्गों को फायदा
लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र हैं, वो बुजुर्गों को डिजिटल लाइफ सर्टीफिकेट के काम में मदद करते हैं। आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी पेंशनर्स को साल में एक बार लाइफ सर्टिफिकेट जमा कराना होता है। 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी कि इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था। आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी। अब ये व्यवस्था बदल चुकी है। अब डिजिटल सर्टीफिकेट देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं,बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता।