New Delhi News : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एक गरीब व्यक्ति को न्याय तक उतनी ही पहुंच नहीं मिलती, जितनी एक अमीर व्यक्ति को मिलती है। इस अनुचित स्थिति को बदलना होगा। उन्होंने युवा कानूनी पेशेवरों से परिवर्तन का वाहक बनने का आग्रह किया।
नालसार विधि विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित किया
राष्ट्रपति शनिवार को हैदराबाद में नालसार विधि विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि संविधान में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्श जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व समाहित हैं। प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों में निहित समानता का आदर्श न्याय प्रदान करने से सम्बन्धित राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में भी अभिव्यक्त होता है। निर्देशक सिद्धांतों में समान न्याय और नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास किया गया है। यह राज्य को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार बनाता है कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाये।
सत्ता के सामने सच बोलना उन्हें और अधिक शक्तिशाली बनाता
राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि अधिवक्ताओं के रूप में उनका कर्तव्य होगा कि वे अपने मुवक्किलों के हितों का ख्याल रखने के अलावा न्याय देने में न्यायालय की सहायता करें। उन्होंने कहा कि कानूनी पेशेवर के रूप में वे जो भी भूमिका चुनें, उन्हें हमेशा ईमानदारी और साहस के मूल्यों पर टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्ता के सामने सच बोलना उन्हें और अधिक शक्तिशाली बनाता है।
“नालसर ने कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभायी है”
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि नालसर ने कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभायी है। उन्होंने दिव्यांगता, न्याय तक पहुंच, जेल और किशोर न्याय तथा कानूनी सहायता से संबंधित मुद्दों की देखभाल करने में नालसर के प्रयासों की सराहना की। उन्हें यह जान कर भी खुशी हुई कि नालसर ने एक पशु कानून केंद्र की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को उम्मीद है कि पशु-पक्षी, पेड़ और जल-निकायों की रक्षा मानवता की भलाई के लिए आवश्यक है और नालसर का पशु कानून केन्द्र उस दिशा में एक अच्छा कदम है।
“महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने में समाज का हर वर्ग हितधारक है”
राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने में समाज का हर वर्ग हितधारक है। उन्होंने एनएएलएसएआर से, इसके पूर्व छात्रों सहित सभी हितधारकों का समर्थन प्राप्त करने और महिला अधिवक्ताओं और कानून की छात्राओं का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करने में मदद करने का आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह नेटवर्क महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों को रोकने और अत्याचारों के ऐसे मामलों से निपटने के लिए ठोस प्रयास करने के लिए जनादेश के साथ काम करेगा।