New Delhi News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पेरिस में एआई एक्शन शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का भविष्य सभी के लिए अच्छा हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई अभूतपूर्व पैमाने और गति से विकसित हो रहा है और इसे और भी तेजी से अपनाया और लागू किया जा रहा है। सीमाओं के पार भी गहरी निर्भरता है। इसलिए, शासन और मानकों को स्थापित करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है, जो हमारे साझा मूल्यों को बनाये रखें, जोखिमों को सम्बोधित करें और विश्वास का निर्माण करें।
“भारत ने बहुत कम लागत पर 1.4 बिलियन लोगों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण किया“
उन्होंने कहा कि भारत ने बहुत कम लागत पर 1.4 बिलियन से अधिक लोगों के लिए सफलतापूर्वक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण किया है। यह एक खुले और सुलभ नेटवर्क के इर्द-गिर्द निर्मित है। इसमें हमारी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने, शासन में सुधार करने और हमारे लोगों के जीवन को बदलने के लिए नियम और अनुप्रयोगों की विस्तृत शृंखला है।
“डेटा गोपनीयता में तकनीकी-कानूनी आधार में भी अग्रणी“
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत एआई को अपनाने के साथ-साथ डेटा गोपनीयता में तकनीकी-कानूनी आधार में भी अग्रणी है। एआई स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और अन्य क्षेत्रों में सुधार लाकर लाखों लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि शासन का मतलब सिर्फ मतभेदों और प्रतिद्वंद्विता को सम्भालना नहीं है। इसका मतलब नवाचार को बढ़ावा देना और वैश्विक भलाई के लिए इसका इस्तेमाल करना भी है। इसलिए हमें नवाचार और शासन के बारे में गहराई से सोचना चाहिए और खुल कर चर्चा करनी चाहिए। शासन का मतलब सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करना भी है, खासकर वैश्विक दक्षिण में। एआई स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और बहुत कुछ बेहतर करके लाखों लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर सकता है। हमें साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और डीपफेक से जुड़ी चिन्ताओं का समाधान करना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीक स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में निहित हो, ताकि यह प्रभावी और उपयोगी हो।