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प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री से वायनाड भूस्खलन राहत पैकेज को अनुदान में बदलने का किया आग्रह

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री से वायनाड भूस्खलन राहत पैकेज को अनुदान में बदलने का किया आग्रह

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New Delhi news : कांग्रेस महासचिव एवं वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार के राहत पैकेज पर चिंता जतायी है। उन्होंने राहत पैकेज को प्रभावित लोगों के प्रति ह्लसंवेदनशीलता की चौंकाने वाली कमीह्व करार देते हुए इसे अनुदान में बदलने का आग्रह किया है।

प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा कि 30 जुलाई, 2024 को वायनाड संसदीय क्षेत्र के चूरलमाला और मुंडक्कई में और उसके आसपास एक विनाशकारी भूस्खलन हुआ था। इस आपदा के बाद 298 लोग मृत पाये गये। 231 शवों के साथ 223 शरीर के अंग बरामद किये गये। 32 लोगों के लापता होने की सूचना मिली और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। 17 परिवार जिनके कुल 58 सदस्य थे, पूरी तरह से खत्म हो गये। 1685 इमारतें क्षतिग्रस्त हो गयींं। इनमें घर, स्कूल, गांव के कार्यालय, डिस्पेंसरी, आंगनवाड़ी, दुकानें, धार्मिक केन्द्र और सरकारी इमारतें भी थीं। भूस्खलन के कारण दो शैक्षणिक संस्थान, सरकारी व्यावसायिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वेल्लारमाला और सरकारी निम्न प्राथमिक विद्यालय मुंडक्कई पूरी तरह से नष्ट हो गये। इन दोनों संस्थानों का स्थायी पुनर्वास अभी भी लंबित है, जहां पहले 658 छात्र नामांकित थे।

उन्होंने कहा कि केरल के सांसदों के लगातार आग्रह के बाद केन्द्र सरकार ने हाल ही में तबाही के पीड़ितों के लिए 529.50 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। इसकी अपर्याप्तता के तथ्य के अलावा यह अभूतपूर्व है कि पैकेज दो शर्तों के साथ आया है। पहला यह कि प्राप्त राशि को मानक के अनुसार अनुदान के रूप में नहीं, बल्कि ऋण के रूप में वितरित किया जायेगा, दूसरा यह कि इसे 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह से खर्च किया जाना चाहिए। ये शर्तें न केवल बेहद अनुचित हैं, बल्कि वे चूरलमाला और मुंडक्कई के लोगों के प्रति संवेदनशीलता की चौंकानेवाली कमी को भी दर्शाती हैं, जिन्होंने इतना विनाशकारी नुकसान झेला है।

कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री को याद दिलाते हुए लिखा, ‘आपने स्वयं इस भीषण त्रासदी के बाद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था। आपकी यात्रा ने केन्द्र सरकार से काफी वित्तीय सहायता की उम्मीद जगायी थी। दुर्भाग्य से वे उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से इनकार करना पीड़ितों के लिए एक झटका था। कई महीनों बाद केरल के सांसदों के लगातार दबाव के बाद आपदा को ‘गम्भीर आपदा’ घोषित करना सही दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत हुआ। हालांकि, इस अपर्याप्त और सशर्त राहत पैकेज की घोषणा बेहद निराशाजनक है।’

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया, ‘वायनाड के लोग इस भयानक आपदा से बाहर निकलने के लिए हर सम्भव सहायता और समर्थन के हकदार हैं। इसलिए आप उनकी दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें। मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि राहत पैकेज को अनुदान में बदल दें और इसके कार्यान्वयन की समयावधि बढ़ा दें। इससे उन्हें अपने जीवन को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी।’

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