Lucknow news, UP news : प्रदेश राज्य निर्माण निगम के पूर्व अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह ने करोड़ों की सम्पत्ति का मालिक बनने के साथ ही उससे बचने की रणनीति भी बना ली थी। इसके लिए उन्होंने बेहद करीबी और हर समय साथ रहने वाली शख्सियत से अलगाव के दस्तावेज भी तैयार कर लिए थे। इन दस्तावेजों में कई झूठी बातें भी लिखी हुई थीं। विजिलेंस टीम ने जब लॉकर की तलाशी ली तो उसमें यह दस्तावेज मिला। कुछ दस्तावेज ऐसे मिले जिनसे साफ हुआ कि नौकरी में रहते हुए ही उन्होंने करोड़ों की कम्पनी का टर्नओवर दिखाते हुए अपने नाम से ही रजिस्ट्रेशन करवा रखा था। इस दस्तावेज को देखकर विजिलेंस के अफसर भी दंग रह गए थे।
विजिलेंस के अधिकारियों के मुताबिक निर्माण निगम लखनऊ में वर्ष 2007 से 2011 के बीच तैनाती के दौरान अपर परियोजना प्रबंधक रहे राजवीर सिंह ने करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित कर ली थी। इसकी शिकायत पर ही शासन ने जांच के आदेश दिए थे। एफआईआर दर्ज करने के बाद विजिलेंस के अफसरों ने सात महीने पहले गुपचुप तरीके से काफी ब्योरा जुटाया। इसके बाद ही अचानक नोएडा और दिल्ली में राजवीर सिंह के पांच ठिकानों पर छापे मारे थे। विजिलेंस ने इस दौरान 100 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति का खुलासा होने का दावा किया है।
विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने जब उनके घर के लॉकर की तलाशी तो 77 लाख रुपए के जेवर व नगदी के साथ ही कई दस्तावेज भी मिले थे। इनमें से एक दस्तावेज देख सब दंग रह गए। इस दस्तावेज में उस शख्सियत से अलगाव का जिक्र किया गया था, जो उनका सबसे ज्यादा करीबी है। ये शख्सियत अभी भी उनके हर राज में साथ है, पर काफी पहले उनसे अलगाव दिखाते हुए दस्तावेज तैयार कर लिया गया। ऐसा इसलिए किया गया जिससे अगर कभी उनकी इस अकूत सम्पत्ति की जांच हो, तो वह इससे बच सके। विजिलेंस का कहना है कि राजवीर सिंह इस आधार पर आगे की कार्रवाई करते, इससे पहले ही उनकी चालाकी पकड़ में आ गई। इस दस्तावेज के आधार पर कई अन्य बिन्दुओं को लेकर पड़ताल की जा रही है।
अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह इससे पहले भी विवादों में घिर चुके हैं। बसपा सरकार में ही हुए अरबों के घोटाले में राजवीर सिंह आरोपी बनाए गए थे। विजिलेंस ने इनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया था। उस समय राजवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया था। काफी समय बाद वह बहाल किए गए थे। इसके बाद से उन्हें प्रमोशन नहीं मिला है। कुछ महीने पहले ही स्मारक घोटाले में शासन ने विजिलेंस की रिपोर्ट पर अभियोजन की स्वीकृत दे दी है। उनके विभाग की ओर से भी अभियोजन की स्वीकृति दी जा चुकी है।