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रांची की गीता चौबे गूँज की पुस्तकों का लोकार्पण बेंगलुरु में

रांची की गीता चौबे गूँज की पुस्तकों का लोकार्पण बेंगलुरु में

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Ranchi news : अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था का वसंतोत्सव कार्यक्रम बेंगलूरु शहर के जस्टबी वीगन रेस्टोरेंट में संपन्न हुआ। जिसमें साहित्यकार गीता चौबे गूँज की दो पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। साथ ही कहानी-संग्रह “इंद्रधनुषी सपने” एवं दुमदार दोहा-सतसई “बहे त्रिवेणी-धार” का विमोचन सह कृति-चर्चा की गयी। कृति-चर्चा में मुख्य वार्ताकार थे संस्था के सलाहकार डाॅ प्रेम तन्मय जो स्वयं एक उच्चकोटि के साहित्यकार एवं ग़ज़लकार हैं। उनके साथ संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला थीं। वार्ता के दौरान यह बात उभरकर आयी कि अमीर खुसरो के द्वारा शुरू किया गया दुमदार दोहे की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 700 दोहों की 1400 दुम के साथ गीता चौबे गूँज की पुस्तक “बहे त्रिवेणी-धार” (दुमदार दोहा-सतसई) संभवतः अभी तक की प्रथम पुस्तक है।

कहानी में संदेश के साथ समाधान भी छिपा है

डाॅ इंदु झुनझुनवाला ने कहानी-संग्रह “इंद्रधनुषी सपने” पर बात करते हुए कहा कि गीता चौबे के इस पुस्तक की प्रत्येक कहानी में एक संदेश के साथ समाधान भी छिपा हुआ है । जो समाज को सही राह दिखाने का अच्छा माध्यम बन पड़ा है। ध्यातव्य हो कि गीता चौबे गूँज की अब तक दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो उपन्यास, प्रबंध-काव्य, गीत-संग्रह, कविता-संग्रह, लघुकथा-संग्रह आदि हैं।

कार्यक्रम का दूसरा सत्र वसंतोत्सव के रूप में मनाया गया। इसमें उपस्थित कवियों द्वारा अपनी कविता न पढ़कर एक-दूसरे की कविता पढ़ी गयी। यह एक नया प्रयोग था, जिसे काफी सराहना मिली।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती-वंदना से हुई

कार्यक्रम की शुरुआत मोना सिंह के द्वारा सरस्वती-वंदना से हुई। ध्येय गीत ज्योति तिवारी एवं डाॅ इंदु झुनझुनवाला के द्वारा गाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में थे आर एन बगदलकर पूर्व निदेशक, मानव संसाधन विभाग एवं अध्यक्षता कमल किशोर राजपूत ने की। दो सत्रों के संचालन का उत्तरदायित्व ज्योति तिवारी, संतोष भाऊवाला, त्रिशला मिश्रा एवं भगवती सक्सेना ने सफलतापूर्वक निभाया। इस अवसर पर रास दादा रास, विभा रानी श्रीवास्तव, वीणा गुप्ता मेदिनी, रचना उनियाल, पल्लवी शर्मा, ब्रजेंद्र मिश्रा, अनिल मोघे, सुदेश वत्स, अजय सिंह, अर्चना गुप्ता, ममता साह, कविता शास्त्री, उमा शर्मा, रतिन्दर कौर, अजय आवारा, पद्मा श्रीनिवासन, सरिता आदि अनेक प्रबुद्ध साहित्यकारों के साथ उज्ज्वल, अर्पिता, सुरभि, सुषमा, प्रतीक, सुरेन्द्र, महेन्द्र भी उपस्थित थे। वंदेमातरम के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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