New Delhi news : पद्मविभूषित वेदमूर्ति श्रीपाद दामोदर सातवलेकर के द्वारा हिंदी में प्रणीत ‘चारों वेदों के सुबोध भाष्य’ के तृतीय संस्करण का विमोचन 18 सितंबर को आम्बेडकर इंटरनेशल सेंटर, नयी दिल्ली में होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इस पुस्तक का विमोचन करेंगे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वेदों के ज्ञान को विस्तार देने पर केंद्रित है, जिसमें वेदों से जुड़ी चर्चा भी की जायेगी। सातवलेकर को बचपन में ही संस्कृत और वेदों में रुचि थी। इस कारण सातवलेकर को वेदों का अध्ययन कराया गया था। वह वेदों का ज्ञान सब तक पहुंचाना चाहते थे, जिसमें सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग लें। अपने आध्यात्मिक ज्ञान के कारण सातवलेकर परिवार की समाज में बहुत प्रतिष्ठा थी। आचार्य चिंतामणि शास्त्री केलकर ने उन्हें संस्कृत व्याकरण में शिक्षित किया था। उन्होंने बहुत सारे राष्ट्रीय आन्दोलन में भी भाग लिया।
सातवलेकर 1936 में सतारा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और औंध रियासत के संघचालक बने
उल्लेखनीय है कि सातवलेकर 1936 में सतारा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और औंध रियासत के संघचालक बने। 16 वर्ष तक उन्होंने संघ का कार्य किया। संस्कृत भाषा के प्रचार का प्रथम अखिल कार्य सातवलेकर ने ही किया था । उन्होंने ‘संस्कृत स्वयंशिक्षक’ के नाम से एक पुस्तक तैयार की, जो आज भी लोकप्रिय है। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें ‘साहित्य एवं शिक्षा’ के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित भी किया। सातवलेकर ने 409 ग्रंथों की रचना की। उन्होंने अपना जीवन सनातन धर्म और राष्ट्र को समर्पित कर दिया। उन्हें 09 जून 1968 को पक्षाघात हुआ और 31 जुलाई 1968 को 101 वर्ष की आयु में उन्होंने संसार त्यागा।