(व्यंग्य कथा)
@राजीव थेपड़ा
जंगल के सारे जानवरों ने जूलूस निकला हुआ था….लाखों-लाख की संख्या में सारे जानवर इकट्ठा हुए….और सम्मलेन प्रारम्भ हुआ।
गधा बोला “आदमी पता नहीं क्या तो चीज़ है कि हम सबसे दम-भर काम लेता है, तब पर भी हम पर हर समय लाठियां ही बरसाता है !”
“हां ! उस साले ने धरती को अपनी बपौती समझ रखा है!” यह खरगोश का स्वर था।
“ए !! यह पशुओं की सभा है। इस तरह के वाहियात और असंसदीय शब्दों का उपयोग यहीं करो। अगली बार ऐसे गलत शब्दों का उपयोग यदि किसी ने किसी के भी बारे में किया, तो वह यहां से बर्खास्त कर दिया जायेगा…!!” हाथी ने आदेशात्मक लहजे में सभा को निर्देश दिया, तत्क्षण ही सारे पशु सहम गये !!
“मगर सरकार ! यह क्या बात हुई कि….सारे धत्त-करम तो आदमी करता है….सारी धरती उसके कुकर्मों से सहमी हुई है और हम तो जैसे उसके सम्मुख कुछ हैं ही नहीं…मगर ये जीव गाली हम जानवरों के नाम की देता है। हमने उसके बाप का भला क्या बिगाड़ा है ?” यह लोमड़ी चिल्लाई थी।
“यह उसका अपना स्वभाव है और अगर कोई जीव या कोई जाति गलत और विध्वंसात्मक स्वभाव का हो, तो क्या उसकी प्रतिक्रिया में हमें भी उसी के जैसा तुच्छ हो जाना चाहिए…?? क्या ऐसा करना हम जानवरों को शोभा देगा…?? इसलिए हे देवी, आप अपने स्वर को नीचा ही रखो, तो अच्छा हो !!” शेर बोला
“तो फिर हमें क्या करना चाहिए ? क्या हमें खुद को आदमी के रहमो-करम पर छोड़ देना चाहिए….? क्या आदमी को नष्ट करने के लिए खुला छोड़ देना चाहिए ?” जिराफ ने कहा…”हम्म्म्म….समस्या तो बड़ी गहरी है, परन्तु मित्रों यह भी सच है कि आदमी आज धरती का सबसे ताकतवर जीव है और उसकी बुद्धि के सम्मुख हम सब तुच्छ और निरीह ही हैं। हम उसे देखने के सिवा कुछ नहीं कर सकते…आदमी अगर कुछ भी गलत कर रहा है, तो उसके फल तो वह ही भोगेगा ना…?? “बन्दर कह रहा था यह
“मगर उसकी करनी के फलस्वरूप जो बवंडर मचेगा, उसके शिकार तो हम भी बनेंगे ना…??” सियार पूछ रहा था यह
“तो जिसको जो समझ आता है, वह वो कर ले, बाकी कुछ भी करने के पूर्व वह उसके परिणाम पर भी विचार कर ले !!” हाथी ने फरमान सुनाया
“तो क्या आदमी के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता….??” बिल्ली ने साहस करके पूछा….
“तो तुम्ही उसके गले में घंटी बाँध आओ ना मौसी !!”एक कुतिया ने कहा….
“सच तो यह है कि आदमी के बारे में कुछ किया ही नहीं जा सकता….वो अपनी मौत खुद मरने वाला है !!”एक लंगूर गंभीरता से यह कह रहा था….
“ह्म्म्मम्म….हां भई….आदमी के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता….तो फिर आज की सभा यही विसर्जित की जाये…”तोता बोला
और लौटते में जंगल के सभी जानवर समवेत स्वर में यह कहते हुए जा रहे थे…”गर्व से कहो हम जानवर हैं….जानवर हैं – जानवर हैं !! गर्व से कहो हम जानवर हैं….जानवर हैं – जानवर हैं !!”
जंगल की कार्रवाई इस प्रकार बिना किसी विघ्न-बाधा के समुचित प्रकार से पूरी हुई….!!
{सो, आदमी की जात को चाहिए कि वह जंगल के जानवरों से ही कुछ सीख ले ले !! }