Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

संभल में कुआं खोलने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, जिला प्रशासन से दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगा

संभल में कुआं खोलने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, जिला प्रशासन से दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगा

Share this:

New Delhi news : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार और संभल जिला प्रशासन को शाही जामा मस्जिद के विवादित कुएं को लेकर कोई भी कदम उठाने से रोक दिया। इस कुएं का आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा हिस्सा मस्जिद के बाहर है। कोर्ट ने इस मामले में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जरूरत की बात कही है। कोर्ट ने जिला प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसी इलाके में मस्जिद के स्थान पर एक हिंदू मंदिर होने का दावा किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने इस मामले पर रोक लगाई है, उसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार शामिल थे। पीठ ने आदेश दिया कि संभल नगर पालिका परिषद द्वारा दिसंबर 2024 में जारी किए गए नोटिस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। नोटिस में कुएं की सफाई, संपत्ति  की जांच और मस्जिद के बाहरी हिस्से को सार्वजनिक उपयोग के लिए खोलने की बात की गई थी। कोर्ट ने इस मामले पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही है। इस मामले में अब 21 फरवरी को सुनवाई होगी। कोर्ट ने जिला प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में शाही जामा मस्जिद के प्रबंधन समिति द्वारा एक याचिका दाखिल की गई थी। उनके द्वारा निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया गया था। मस्जिद के प्रबंधन का आरोप था कि सर्वे बिना किसी सूचना के किया गया और यह कार्रवाई अवैध तरीके से और जल्दबाजी में की गई थी। इस सर्वे के बाद 24 नवंबर 2024 को संभल में हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें चार लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए

थे।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने अदालत से अनुरोध किया कि वह जिला प्रशासन को कुएं की जांच और उस पर की जाने वाली कार्रवाई पर रोक लगाए। उन्होंने कहा कि कुआं मस्जिद के अंदर और बाहर स्थित है और इसे बिना अदालत की अनुमति के सार्वजनिक उपयोग के लिए खोलना अनुचित होगा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने इस दलील का विरोध किया। उनका कहना था कि यह एक

सार्वजनिक कुआं है और राज्य की संपत्ति है। अब स्थिति शांतिपूर्ण है, लेकिन कुछ लोग इसमें समस्या पैदा करना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह पानी है। इसे सभी को उपयोग करने देना चाहिए। आप खुद कह रहे हैं कि इसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर है और आधा बाहर। यदि कोई व्यक्ति बाहर के हिस्से से पानी का उपयोग करता है, तो इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।” अहमदी ने इसके जवाब में कहा, “यह कुआं पूरी तरह से ढका हुआ था और इसका उपयोग कभी नहीं किया गया। मस्जिद इसका पानी एक पंप के माध्यम से उपयोग करती है। नगरपालिका के नोटिस में इसे हरि मंदिर कहा गया है। पूजा और भक्तों की स्नान के लिए पानी इस्तेमाल करने की बात की गई है।”

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को नकारते हुए कहा, “यह क्या है? इसे मत बढ़ाइए। ऐसा करना उचित नहीं है।” कोर्ट ने सरकार से स्टेटस

रिपोर्ट की मांग करते हुए आदेश दिया कि नगरपालिका परिषद का कुएं से संबंधित नोटिस प्रभावी नहीं होगा।

Share this: