राज्य सरकार को हिंसा-प्रभावित क्षेत्र में शांति बनाने का निर्देश, मस्जिद समिति ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी
New Delhi news : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल की ट्रायल कोर्ट को कहा है कि वह मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित मामले में कोई आदेश पारित न करें। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हिंसा-प्रभावित क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखें। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने शुक्रवार को कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट मुस्लिम पक्ष की याचिका दायर होने के तीन दिनों के भीतर सुनवाई करें। हमें उम्मीद और भरोसा है कि निचली अदालत इस मामले में तब तक आगे की कार्रवाई के लिए न बढ़ें, जब तक कि हाई कोर्ट मामले में सुनवाई कर आदेश पारित नहीं लेता।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को संभल में शांति और सद्भाव बनाए रखने और दोनों समुदायों के सदस्यों को शामिल कर एक शांति समिति गठित करने का निर्देश दिया है। बेंच ने संभल की निचली अदालत से कहा कि वह उसके सामने पेश की जाने वाली किसी भी सीलबंद रिपोर्ट को तब तक न खोले, जब तक कि हाई कोर्ट मामले की सुनवाई न कर ले और याचिका पर आदेश पारित न कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए मुस्लिम पक्ष से कहा है कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट जा सकते हैं और मामले को पेंडिंग रखा है और कहा है कि अब मामले की सुनवाई के लिए इसे छह जननरी से शुरू होने वाले सप्ताह में लिस्ट किया जाए।
19 नवंबर 2024 को संभल की सिविल जज ने आदेश देते हुए शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया था। दरअसल यह दावा किया गया कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर मौजूद था।
24 नवंबर 2024 को मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पत्थरबाजी और आगजनी के कारण चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी और इस आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।