New Delhi News: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि विज्ञान और किसान के बीच की दूरी कम करनी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार लैब टू लैंड- वैज्ञानिक से किसान तक समय पर सही जानकारी पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने पूसा में आयोजित वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस-2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक नवाचारों और विस्तार प्रणालियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। भारत के कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियां के सहयोग से भी किसानों को ज्ञान और कौशल प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।
चौहान ने कहा कि हम आधुनिक कृषि चौपाल का कार्यक्रम जल्दी शुरू करनेवाले हैं, जिसमें वैज्ञानिक लगातार किसानों से चर्चा करके जानकारियां देंगे और समस्याओं का समाधान भी करेंगे। इसके अतिरिक्त निजी और गैर सरकारी संगठनों के नेतृत्व वाली विस्तार सेवाओं ने उन्नत तकनीक को किसानों तक पहुंचाया है और उसका लाभ अब किसान ले रहे हैं।
“भारत की मिट्टी बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है“
चौहान ने कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर का बढ़ता उपयोग व बढ़ती निर्भरता, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर दबाव डाला है। आज भारत की मिट्टी बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है। कई अध्ययनों के अनुसार हमारी 30 प्रतिशत मिट्टी खराब हो चुकी है। इस समस्या से निपटने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की शुरुआत हुई थी। इससे किसानों को अब पता है कि कौन-सी खाद कितनी मात्रा में उपयोग करनी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान मिट्टी के सबसे बड़े संरक्षक हैं, उन्हें शिक्षा, प्रोत्साहन और आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी के माध्यम से हमें सशक्त बनाना है। युवाओं को भी इसमें शामिल करना चाहिए। कृषि एक लाभदायक व सम्मानजनक पेशा है, इसके लिए भी युवाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। छात्रों और शोधकतार्ओं को स्थानीय व वैश्विक मृदा की चुनौतियों का समाधान करने वाले नवाचारों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मिट्टी का क्षरण राष्ट्रीय मुद्दा ही नहीं बल्कि वैश्विक चिन्ता का विषय है, जो कि संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है।