निजी कंपनियों छिनेगा काम, कैबिनेट में जल्द आएगा प्रस्ताव
न्यूनतम वेतन तय होगा, केन्द्र की अधिसूचना बनेगी आधार
हर साल 50 हजार आउटसोर्स व अस्थायी कर्मियों की होती है भर्ती
Lucknow news, UP news : उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों निकायों और अन्य प्रतिष्ठानों में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करने वाली निजी कम्पनियों की अब नहीं चलने वाली। ऐसी कम्पनियों से यह काम जल्द ही छिनने वाला है। बुधवार को विश्ववार्ता से खास बातचीत में प्रदेश के श्रम, सेवायोजना पंजीकरण मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि अब आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती प्रदेश सरकार ही करेगी।
उन्होंने बताया कि विभिन्न संगठनों, कर्मचारी संघों की ओर से आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती करने वाली निजी कम्पनियों के बाबत तमाम तरह की शिकायतें आ रही हैं। शिकायतों का संज्ञान लेते हुए प्रदेश की योगी सरकार अब आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती सीधे सरकार द्वारा किये जाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट के विचारार्थ लाया जा सकता है।
स्थायी नियुक्तियां नहीं हो रहीं
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्स संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल्ल ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागों, निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों में हर साल सेवानिवृत्त होने के बाद स्थायी नियुक्तियां नहीं हो रही हैं, बल्कि आउटसोर्स और अस्थायी भर्ती की जा रही है। हर साल इन रिक्त पदों पर करीब 50 हजार आउटसोर्स व अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती होती है। उधर, श्रम, सेवायोजन एवं पंजीकरण विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिया है कि यह प्रस्ताव कैबिनेट की अगली बैठक में भी लाया जा सकता है। यह भी पता चला है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम वेतन के बारे में केन्द्र सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है, उत्तर प्रदेश में भी उसका अनुपालन किया जाए।
केन्द्र सरकार के आदेश पर केन्द्रीय मुख्य श्रम आयुक्त डॉ. ओमकार शर्मा ने बीती 25 सितम्बर को एक आदेश जारी किया, जिसके तहत केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का महंगाई भत्ता बढ़ाया गया। महंगाई भत्ते की यह बढ़ी हुई दरें इस साल पहली अक्तूबर से लागू भी कर दी गयीं। इनमें अकुशल, अर्धकुशल, कुशल व लिपिकीय और उच्चस्तरीय कुशल कर्मियों व श्रमिकों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में महंगाई भत्ता बढ़ाया गया। इसके बाद इन कर्मचारियों और श्रमिकों के वेतन में बढ़ोत्तरी हो गयी। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार भी ठेका व संविदा कर्मियों का न्यूनतम वेतन तय करने जा रही है।
जेम पोर्टल के माध्यम से पूरी होती है प्रक्रिया
मालूम हो कि जेम पोर्टल पर पंजीकृत कम्पनियों द्वारा ठेका, संविदा आदि पर कुशल व अकुशल कर्मचारियों, मजदूरों आदि की भर्ती प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों की मांग के अनुरूप की जाती रही है। मगर इन कम्पनियों में अधिसंख्य कम्पनियों द्वारा इन ठेका व संविदा कर्मियों को समय से वेतन न दिये जाने, आधा अधूरा वेतन दिये जाने, ईपीएफ और ईएसआईसी का लाभ न दिये जाने की तमाम शिकायतें लगातार आ रही हैं। तमाम निजी कम्पनियों द्वारा इन संविदा व ठेका कर्मियों के वेतन-मजदूरी से कटा ईपीएफ हड़पे जाने की भी शिकायतें आती रही हैं।
10 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मी
प्रदेश में आउटसोर्स कर्मियों, अकुशल, अर्धकुशल और कुशल कार्मिकों की अनुमानित संख्या 10 लाख से ऊपर है। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्स संविदा कर्मचारी संघ उ.प्र. के अध्यक्ष रितेश मल्ल के अनुसार प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग में करीब डेढ़ लाख संविदा कर्मी हैं। विद्युतकर्मी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक व वरिष्ठ कर्मचारी नेता इंजीनियर शैलेन्द्र दुबे ने बताए कि बिजली विभाग में आउटसोर्स कर्मियों की संख्या 80 हजार से अधिक है। नगरीय व ग्रामीण निकायों में आउटसोर्स कर्मियों की संख्या कई लाख है। सिर्फ ग्रामीण सचिवालयों के कम्प्यूटर आपरेटर ही 58 हजार हैं। उत्तर प्रदेश निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष मनोज मिश्र के अनुसार प्रदेश के 36 निगमों व सार्वजनिक उपक्रमों में सवा लाख कार्मिक हैं, उनमें से करीब 50 हजार आउटसोर्स या ठेके के कर्मचारी हैं।