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नौसेना में दो युद्धपोतों और एक पनडुब्बी का शामिल होना आईओआर में भारत की ताकत का प्रमाण : राजनाथ

नौसेना में दो युद्धपोतों और एक पनडुब्बी का शामिल होना आईओआर में भारत की ताकत का प्रमाण : राजनाथ

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▪︎ आईओआर में अटलांटिक महासागर से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हुआ हिन्द महासागर

New Delhi News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मुम्बई के नेवल डाक यार्ड में दो युद्धपोतों और एक पनडुब्बी को भारत के समुद्री बेड़े में शामिल होने को हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की ताकत का भी प्रमाण बताया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और पनडुब्बी आईएनएस बाग्शीर को नौसेना में शामिल करने की औपचारिकता पूरी की।रक्षा मंत्री ने युद्धपोत सूरत और नीलगिरी एवं पनडुब्बी बाग्शीर की एक साथ हो रही ऐतिहासिक कमीशनिंग को सिर्फ भारतीय नौसेना की नहीं, बल्कि हिन्द महासागर क्षेत्र में भू-रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण बताया है।

अटलांटिक महासागर का वह महत्त्व आज शिफ्ट होकर हिन्द महासागर की ओर आ गया है

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र हमेशा से भारत के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है, लेकिन आज के तेजी से बदलते परिवेश में यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि आज हम यह कह सकते हैं कि जो महत्त्व पहले अटलांटिक महासागर का हुआ करता था, वह महत्त्व आज शिफ्ट होकर हिन्द महासागर की ओर आ गया है।रक्षा मंत्री ने कहा कि नौसेना में शामिल हुए आज के ये तीन बड़े प्लेटफार्म पूरी तरह से अत्याधुनिक उपकरण, और सिस्टम से लैस हैं और किसी भी स्थिति का मुकाबला करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। हम आज अपने आधुनिकीकरण की आस्था को तेजी से बढ़ा रहे हैं। एक ओर तो हम इन बड़े प्लेटफार्मों का देश में ही उत्पादन कर रहे हैं, तो दूसरी ओर हमारा ध्यान कम लागत और उच्च प्रभाव प्रणालियों पर भी है, जो कम समय में हमारी सेना को और अधिक शक्तिशाली बना सकते हैं। इस प्रकार अपनी सेनाओं के तेजी से आधुनिकीकरण के क्रम में हम एक ऐसा संतुलित मिश्रण ला रहे हैं।

आईएनएस वाग्शीर का नाम रेत मछली के नाम पर रखा गया है, जो एक शिकारी मछली है

नौसेना के बेड़े में आज शामिल की गयी पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर का नाम रेत मछली के नाम पर रखा गया है, जो हिन्द महासागर में गहरे समुद्र में रहने वाली एक शिकारी मछली है। पनडुब्बी को सभी आॅपरेशन थियेटर में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। पनडुब्बी वाग्शीर का विस्थापन 1,600 टन होगा, जिनमें सभी घातक प्रहार के लिए भारी-भरकम सेंसर और हथियार लगे हैं। सूरत और नीलगिरी को पिछले हफ़्ते मुम्बई स्थित मझगांव डॉक्स (एमडीएल) ने नौसेना को सौंप दिया था। नौसेना को मिला जहाज ‘सूरत’ 35 हजार करोड़ रुपये की परियोजना 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और अंतिम है। इससे पहले पिछले तीन वर्षों में इसी प्रोजेक्ट के तीन जहाजों विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इम्फाल को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है।

फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17 ए स्टील्थ का पहला जहाज है

नौसेना में शामिल किया गया फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17 ए स्टील्थ का पहला जहाज है। इस योजना के सात जहाज एमडीएल, मुम्बई और जीआरएसई, कोलकाता में बनाये जा रहे हैं। ये बहु-मिशन फ्रिगेट भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारम्परिक और अपारंपरिक दोनों तरह के खतरों से ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं। इसे डीजल या गैस से संचालित किया जाता है। इनमें अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली भी है। जहाज में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करनेवाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी अपग्रेडेड गन और रैपिड फायर क्लोज-इन हथियार प्रणालियों को लगाया गया है।

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