▪︎ सुप्रीम आदेश: हरियाणा व पंजाब समिति को सभी लॉजिस्टिक सपोर्ट,वाहन व अन्य सुविधाएं देने के लिए बाध्य
New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से ढाई-ढाई करोड़ रुपए की मांग की है। हरियाणा सरकार ने इस राशि को मंजूरी दे दी है, लेकिन पंजाब सरकार ने अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इस समिति को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन और कृषि संकट का समाधान निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में भेजा गया है। अधिकारी ने कहा, “2.5 करोड़ रुपए की राशि काफी बड़ी है। इस पर विभागीय स्तर पर निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसे मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। हालांकि, सवाल यह है कि समिति इतनी बड़ी राशि का क्या करेगी?”
समिति की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह कर रहे हैं
पिछले साल 2 सितंबर, 2024 को गठित इस समिति की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह कर रहे हैं। अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बीएस संधू, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा, अर्थशास्त्री प्रोफेसर रंजीत सिंह घुम्मन और पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग के अध्यक्ष सुखपाल सिंह शामिल हैं। समिति फिलहाल हरियाणा के पंचकुला स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह से संचालित हो रही है और बैठकें चंडीगढ़ के पंजाब किसान भवन और हरियाणा निवास में होती हैं।
दोनों राज्यों के बीच खर्च का विभाजन 50:50 के अनुपात में किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति के एक सदस्य ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को समिति के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, “समिति को वाहनों के अलावा ईंधन, सहायक कर्मचारी, शोधकर्ता, टाइपिस्ट और अन्य स्टाफ की जरूरत होती है। विशेषज्ञों को बुलाने, उनके रहने और खाने की व्यवस्था करने में भी पैसों की आवश्यकता होती है। यह खर्चा समिति के सुचारु संचालन के लिए अनिवार्य है।” उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा के अधिकारियों ने पहले ही बैठक में इस खर्च को पूरी तरह से वहन करने की पेशकश की थी, लेकिन यह निर्णय लिया गया कि दोनों राज्यों के बीच खर्च का विभाजन 50:50 के अनुपात में किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, “दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक उच्च स्तरीय समिति को सभी लॉजिस्टिक सपोर्ट, वाहन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। इसके लिए उन्हें समिति के अध्यक्ष से परामर्श कर आवश्यक कदम उठाने होंगे।” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि समिति के अध्यक्ष और सदस्यों को दिए जाने वाले मानदेय और खर्च का विभाजन दोनों राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किया जाएगा।
पंजाब सरकार ने अब तक इस मामले में कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है। कृषि विभाग ने फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी है, लेकिन अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा लिया जाएगा। इस मुद्दे पर आगे की स्थिति दोनों राज्य सरकारों के समन्वय और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर निर्भर करेगी।