Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण 15 फरवरी से होगा शुरू : धर्मेन्द्र प्रधान

काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण 15 फरवरी से होगा शुरू : धर्मेन्द्र प्रधान

Share this:

New Delhi news : काशी तमिल संगमम (केटीएस) का तीसरा संस्करण उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 15 से फरवरी से शुरू होगा। केटीएस की थीम ऋषि अगस्त्य के दर्शन पर केंद्रित होगी। इसकी मेजबानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में काशी तमिल संगमम (केटीएस) के तीसरे संस्करण की आधिकारिक घोषणा की और इसके लिए आधिकारिक पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि आईआईटी मद्रास द्वारा होस्ट किया गया पोर्टल ‘ं२ँ्र३ें्र’.्र्र३े.ंू.्रल्ल एक फरवरी तक पंजीकरण स्वीकार करेगा। मंत्री ने कहा कि 10 दिनों तक चलने वाला केटीएस का यह तीसरा संस्करण 24 फरवरी को समाप्त होगा। प्रधान ने कहा कि इस वर्ष काशी तमिल संगमम का विशेष महत्व है क्योंकि यह महाकुंभ के साथ पड़ रहा है और यह अयोध्या में रामलला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के बाद पहला संगम भी है। उन्होंने कहा कि महर्षि अगस्त्य को केंद्रीय विषय और महाकुंभ एवं अयोध्या धाम की पृष्ठभूमि के साथ काशी तमिल संगमम 3.0 एक दिव्य अनुभव प्रदान करेगा तथा हमारी सभ्यता और संस्कृति के दो शाश्वत केंद्रों तमिलनाडु और काशी को पहले से कहीं अधिक करीब लाएगा। प्रधान ने कहा कि काशी तमिल संगमम 3.0 के माध्यम से तमिलनाडु और काशी के बीच के अविभाज्य संबंध जीवंत हो उठेंगे।

मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि काशी तमिल संगमम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिमाग की उपज है, जो तमिलनाडु और काशी के बीच शाश्वत संबंधों का जश्न मनाने, सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करने और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रेरणादायक पहल है। उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम भारत के सबसे पूजनीय संतों में से एक महर्षि अगस्त्य का उत्सव होगा।

महर्षि अगस्त्य की विरासत भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है। उन्होंने कहा कि उनकी बौद्धिक प्रतिभा तमिल भाषा और साहित्य के साथ-साथ हमारे साझा मूल्यों, ज्ञान परंपराओं और विरासत का आधार है।

प्रधान ने तमिलनाडु के लोगों को काशी तमिल संगमम 3.0 में पूरे मन से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इस वर्ष सरकार ने तमिलनाडु से छात्र, शिक्षक-लेखक, किसान-कारीगर, पेशेवर-छोटे उद्यमी, महिलाएं और स्टार्ट-अप सहित पांच श्रेणियों के अंतर्गत लगभग 1000 प्रतिनिधियों को लाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत तमिल मूल के लगभग 200 छात्रों का एक अतिरिक्त समूह काशी और तमिलनाडु के बीच के संबंध को जीवंत करने के लिए इस कार्यक्रम का हिस्सा होगा। इस वर्ष सभी श्रेणियों में युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।

काशी तमिल संगमम का आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा संस्कृति, कपड़ा, रेलवे, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना एवं प्रसारण आदि मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक साथ आने, अपने ज्ञान, संस्कृति और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक-दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है। इसका उद्देश्य युवाओं को जागरूक करना और सांस्कृतिक एकता का अनुभव कराना भी है। यह प्रयास एनईपी 2020 के भारतीय ज्ञान प्रणालियों की संपदा को ज्ञान की आधुनिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने पर जोर देने के अनुरूप है। कार्यक्रम के लिए आईआईटी मद्रास और बीएचयू दो कार्यान्वयन एजेंसियां हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार, पीआईबी के प्रधान महानिदेशक धीरेंद्र ओझा, शिक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार बरनवाल, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।

Share this: