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कुदरत की भी श्रद्धांजलि: डॉ. मनमोहन सिंह को नमन करने वालों का लगा रहा तांता

कुदरत की भी श्रद्धांजलि: डॉ. मनमोहन सिंह को नमन करने वालों का लगा रहा तांता

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तीन मोतीलाल नेहरू मार्ग पर जुटी रही भीड़, फिर भी असहज खामोशी, कांग्रेस दफ्तर परिसर में सन्नाटा

New Delhi news : राष्ट्रीय राजधानी के तीन मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित दिवंगत पूर्व प्रधानंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आवास। शुक्रवार को वहां का माहौल सहज नहीं था। घर के बाहर पुलिस के बैरिकेड्स की मौजूदगी संजीदगी के माहौल की असहजता को बताने के लिए काफी है। वहां मीडिया और श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों की भीड़ है। फिर भी एक खामोशी है। इसके बीच उनको श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है। ऐसे में बेमौसम बारिश। कभी धीमी, तो कभी तेज। मानो कुदरत भी उनके जाने से गमजदा है। हो भी क्यों नहीं, देश के लिए उनके किए योगदान को, शायद आदमी भुला भी दे, लेकिन कुदरत को सब याद रहता है। भले ही 3 मोतीलाल नेहरू मार्ग के गोलचक्कर की सड़कें खामोश हैं, लेकिन कुदरत बरस रही है, अपना गम दर्ज करवा रही है।

श्राद्ध सुमन अर्पित करने ये लोग आए

मौसम विभाग से जुड़ा डेटा देखें तो पता चलता है कि दिल्ली में पिछली बार दिसंबर में ऐसी बारिश 15 साल पहले हुई थी। उनके बंगले के बाहर रेनकोट पहने किसी तरह कैमरे को बचाते नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया का जमावड़ा है। बंगले के बाहर भारी सुरक्षा के बीच राजनेताओं का तांता लगा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी डॉ. सिंह को श्राद्ध सुमन अर्पित करने आए। बंगले के भीतर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उनको आखिरी बार देखने के लिए उमड़ पड़े।

मनमोहन सिंह ने देश के लिए क्या किया यह दिख रहा 

दिल्ली के किराड़ी से आए एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने उन्हें याद करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह ने देश के लिए क्या किया, ये आज दिख रहा है। जब ना सिर्फ कांग्रेस के कार्यकर्ता, बल्कि देश के कितने ही लोग आंसू बहा रहे हैं। इस बीच बंगले से बाहर सचिन पायलट निकलते हैं, पायलट उस पीढ़ी से हैं, जिसने 91 में आर्थिक द्वार को खुलते देखा होगा। आसमान से पड़ रही बूंदों के बीच पत्रकारों से घिरे सचिन अपनी नजदीकियों का जिक्र करते हुए बताते हैं कि किस तरह यूपीए के वक्त नीतियों ने हर वर्ग को कुछ ना कुछ दिया ही।

इसके बाद यूपीए सरकार में पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के साथ काम कर चुके शशि थरूर श्रद्धांजलि देकर बाहर आते हैं, डॉ मनमोहन सिंह को याद करते हैं। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन आए। कांग्रेसी सांसद गौरव गोगोई पैदल ही आते दिखे। उनके हाथ में सफेद फूल हैं। कांग्रेस की इस जेनरेशन के कई नेताओं के राजनीतिक ककहरे में डॉ मनमोहन की विदेश नीति और अर्थनीति की अहम जगह है। युवा नेताओं से लेकर उनके साथ काम कर चुके, हर उम्र और अनुभव के राजनेताओं के कदम उनके बंगले की ओर जाते दिखे। कुछ दूरी पर ही कांग्रेस हेडक्वार्टर पर बारिश के बीच सन्नाटा पसरा है। पूरे परिसर में इक्का दुक्का लोग ही दिखते हैं। प्रवेश द्वार पर ही मनमोहन सिंह की तस्वीर लगी है, जहां कार्यकर्ता फूल चढ़ा कर उन्हें नमन कर रहे हैं। यहां शनिवार को उनका पार्थिव शरीर लोगों के आखिरी दर्शन के लिए रखा जाएगा।

मनमोहन सिंह खामोश रहकर काम करते थे, ये उनका काम करने का लहजा था। आज वो खामोश हैं, लेकिन दुनिया के पास उनकी स्मृतियों को लेकर कितना कुछ है सुनाने को। एक किस्से से दूसरा किस्सा निकल आ रहा है।

सात फैसले :

सूचना का अधिकार : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 12 अक्टूबर 2005 को भारत में सूचना का अधिकार यानी आरटीआई लागू हुआ। यह कानून भारतीय नागरिकों को सरकारी अधिकारियों और संस्थानों से सूचना मांगने का अधिकार देता है।

मनरेगा : उनकी सरकार ने साल 2005 में ही ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ‘(नरेगा) बनाया, जिसे 2 फरवरी 2006 से लागू किया गया। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर परिवार को साल में कम से कम 100 दिन मजदूरी की गारंटी दी गई।

कर्ज माफी : साल 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने का फैसला किया। सीएजी के मुताबिक कर्ज माफी और कर्ज राहत पैकेज की अनुमानित लागत 71 हजार 680 करोड़ रुपए थी।

परमाणु समझौता : साल 2008 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। शीत युद्ध के बाद से अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ था, लेकिन इस समझौते के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों ने एक ऐतिहासिक मोड़ ले लिया।

आर्थिक सुधार : वर्ष 2008 में दुनिया भर में आर्थिक तबाही मची हुई थी। हर कोने से शेयर बाजारों के गर्त छूने की खबरें आ रही थीं। भारत का भी कुछ ऐसा ही हाल था। निवेशकों के लाखों करोड़ों रुपए हर रोज हवा हो रहे थे। कंपनियां बड़े पैमाने पर छटनियां कर रही थीं।

ये वैश्विक वित्तीय संकट का समय था और उसका असर सभी जगह हुआ। भारत पर भी दबाव आया।

शिक्षा का हक : साल 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने देश में शिक्षा का अधिकार लागू किया। इसके तहत छह से चौदह साल तक के सभी बच्चों को शिक्षा मुहैया कराना संवैधानिक अधिकार बना दिया गया।

भोजन की गारंटी : साल 2013 में देश के गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मनमोहन सिंह की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू किया।

 जहां अंतिम संस्कार हो वहीं स्मारक बने : कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने के लिए दिल्ली में भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया है। अपनी चिट्ठी में खरगे ने लिखा है कि मनमोहन सिंह का वहीं दाह संस्कार किया जाय, जहां उनका स्मारक भी बनवाया जा सके। कांग्रेस पार्टी ने खरगे की चिट्ठी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा है, “आज कांग्रेस अध्यक्ष श्री @kharge ने प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री से फ़ोन पर बात करके व एक पत्र लिख कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पुरज़ोर अनुरोध किया कि भारत के सपूत सरदार मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार व स्मारक स्थापित करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

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