New Delhi news : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत महाकुंभ के लिए 152.37 करोड़ रुपये की लागत से विशेष स्वच्छता प्रबंधन किये जा रहे हैं। महाकुंभ मेला परिसर में 28 हजार से ज्यादा शौचालय स्थापित किये गये हैं, जिनमें सेप्टिक टैंक से लैस 12 हजार फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक शौचालय और सोखने के गड्ढों वाले 16,100 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील शौचालय बनाये गये हैं। मेला क्षेत्र में 20 हजार
सामुदायिक यूरिनल और 20 हजार कूड़ेदान भी स्थापित किये गये हैं। जल शक्ति मंत्रालय ने यहां शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया कि गंगा की पवित्रता बनाये रखना, प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाना महाकुंभ 2025 के आयोजन की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं। इस आयोजन को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के लिए एक बेंचमार्क के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें पूरे मेला क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।
स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण तैयार हो रहा
मंत्रालय के अनुसार महाकुंभ में सफाई व्यवस्था की आधुनिक तकनीक को पारंपरिक प्रथाओं के साथ जोड़ कर स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण तैयार किया जा रहा है। मेला परिसर में 28,000 से ज्यादा शौचालय स्थापित किये गये हैं। जिनमें सेप्टिक टैंक से लैस 12,000 फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक शौचालय और सोखने के गड्ढों वाले 16,100 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील शौचालय बनाये गये हैं। इन शौचालयों का उद्देश्य स्वच्छ वातावरण देने के साथ पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए 20 हजार सामुदायिक यूरिनल भी स्थापित किये गये हैं।
मंत्रालय के मुताबिक मेला क्षेत्र में प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए, 20 हजार कूड़ेदान लगाये गये हैं, ताकि स्रोत पर ही अपशिष्ट को अलग किया जा सके। साथ ही, इसके पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित किया जा सके। अपशिष्ट संग्रह और निपटान को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए, 37.75 लाख लाइनर बैग प्रदान किये गये हैं। यह सुव्यवस्थित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली आयोजन क्षेत्र को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाये रखेगी।